वन्यजीवों के लिए जंगल में 30 लाख के 20 नए जलस्रोत बनेंगे

20 new water bodies worth 30 lakhs will be built in the forest for wildlife
वन्यजीवों के लिए जंगल में 30 लाख के 20 नए जलस्रोत बनेंगे
वन्यजीवों के लिए जंगल में 30 लाख के 20 नए जलस्रोत बनेंगे

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  इस साल वन्यजीवों को जंगल में पानी की कमी महसूस नहीं होगी। वन विभाग इसकी तैयारी में लगा है। 30 लाख रुपए की लागत से इस बार नागपुर के प्रादेशिक इलाके में 20 नए कृत्रिम जलस्रोत बनाए जाएंगे। इसमें 10 सामान्य रहेंगे और 10 सोलर पैनल से चलेंगे। बता दें कि पहले से ही विभाग में 39 कृत्रिम वॉटर होल हैं। नए वॉटर होल को मिलाकर इनकी संख्या 59 हो जाएगी। 

20 नए कृत्रिम जलस्रोत बना रहे  
30 लाख रुपए की लागत से इस बार 20 नए कृत्रिम जलस्रोत बनाए जाएंगे। इसमें 10 सोलर पैनल से स्वचालित होंगे, ताकि वन्यजीवों को आसानी से पानी उपलब्ध हो सके। -डॉ. प्रभुनाथ शुक्ला, डीएफओ, (प्रादेशिक), वन विभाग नागपुर

नैसर्गिक जलस्रोत सूख जाते 
वन अंतर्गत वन विभाग की ऐसी जमीन भी है, जहां घना जंगल व बहुत ज्यादा संख्या में वन्यजीवों का बसेरा होता है। बाकी मौसम में भले ही वन्यजीवों को प्राकृतिक जलस्रोत से पानी मिल जाता है, लेकिन फरवरी अंत तक इन स्रोतों का पानी खत्म होने लगता है। आंकड़ों के अनुसार, विदर्भ के पेंच व्याघ्र प्रकल्प के अंतर्गत आनेवाले बोर व्याघ्र प्रकल्प, उमरेड-पवनी-करांडला अभयारण्य, टिपेश्वर अभयारण्य, पैनगंगा अभयारण्य में आनेवाले 2 माह में 50 से अधिक नैसर्गिक जलस्रोत सूख जाते हैं, जिससे वन्यजीवों को पानी मिलने में मुश्किल हो जाती है। 

इन क्षेत्रों में जरूरत
ऐसे में वन विभाग पहले से तैयारी में है। नागपुर विभाग के प्रादेशिक इलाके की बात करें तो इसके अंतर्गत दक्षिण उमरेड, उत्तर उमरेड, नरखेड़, कोंढाली, काटोल, हिंगना, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, सेमिनरी हिल्स, बुटीबोरी और खापा वन परिक्षेत्र आता है। यहां तेंदुए से लेकर बाघ तक मौजूद हैं। अभी तक 39 जलस्रोत यहां बनाए गए हैं। 

वन्यजीवों की संख्या बढ़ी  
गत वर्ष की तुलना इस बार वन्यजीवों की संख्या बढ़ी है, जिसके कारण वॉटर होल की संख्या भी बढ़ाने की दरकार सामने आई है। लिहाजा, 20 नए जलस्रोत बनाने का निर्णय लिया गया है। इसमें 10 सोलर पैनल से चलेंगे, इसलिए यह ऑटोमेटिक शुरू होकर गडढों में पानी भरेंगे। 10 स्थानों पर केवल बोरवेल लगाई जाएगी, जहां मैनुअली पानी भरना पड़ेगा। 

76 नैसर्गिक स्रोत नहीं सूखते 
अधिकृत आंकड़ों के अनुसार, कुल 179 नैसर्गिक जलस्रोत विदर्भ के जंगली क्षेत्र में हैं। इसमें 76 नैसर्गिक स्रोत में हर माह पानी उपलब्ध रहता है। बचे 103 जलस्रोत में बढ़ती गर्मी के अनुसार पानी सूखते जाता है। मई के आखिरी तक 50 से ज्यादा जलस्रोत सूख जाते हैं। ऐसे में कृत्रिम जलस्रोत ही उनके काम आते हैं। 

Created On :   5 March 2021 2:16 PM IST

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