जमानत मिलने के बाद भी जेलों में सजा काट रहे हैं 25% कैदी

25% prisoners in jail despite being granted bail
जमानत मिलने के बाद भी जेलों में सजा काट रहे हैं 25% कैदी
जमानत मिलने के बाद भी जेलों में सजा काट रहे हैं 25% कैदी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार जेलों  की नीतियों में सुधार लाने पर विचार कर रही है। सरकार का मानना है कि यह सुधार लाए जाने से जेल में पड़े कैदियों के जीवन में नई ऊर्जा आएगी। देश की कई जेलों में 7 साल से कम सजा पाने वाले कैदी बंद पड़े हैं। मामूली अपराध में जेल के सलाखों के पीछे करीब 25 फीसदी कैदी बंद हैं। अदालतों से जमानत मिलने के बाद भी वह जुर्माने की रकम जमा नहीं कर पा रहे हैं, जिसके चलते उन्हें जेल में बंद रहना पड़ रहा है।डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय की पहल पर महाराष्ट्र सरकार पिछले कुछ वर्षों में 7 साल से कम सजा पाने वाले तकरीबन 1500 कैदियों की रिहाई कर चुकी है। इनमें वह कैदी भी शामिल थे, जिनकी सजा सात साल से कम थी और जो एक या दो अपराध में सजा पाए थे, जुर्माना नहीं भर पाने के कारण जेल में बंद पड़े थे। 

प्रमुख कारण यह 

कैदियों को कानून का ज्ञान नहीं होना भी उनकी इस परेशानी का प्रमुख कारण रहा है। देश के कई जेलों में यही स्थिति है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो गृह मंत्रालय (बीपीआरडी) ने हाल ही में देश की जेलों की आवश्यकताओं और उनकी समस्याओं के बारे में भारत सरकार द्वारा गठित  जेल समिति के सदस्यों से जेल की नीतियों व उनके सुधार के बारे में सुझाव मांगे थे। जेल की दशा और स्थिति के बारे में शहर पुलिस आयुक्त व तत्कालीन जेल पुलिस महासंचालक डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय ने कुछ सुझाव दिए थे। उनके सुझाव पर सरकार ने गौर किया है। देश की जेलों की वर्षों से चली आ रही नीतियों पर बदलाव होने वाले हैं। उनके सुझाव को अमल में लाने के लिए सरकार ने हाल ही में उन्हें पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो गृहमंत्रालय की ओर से सम्मानित किया गया। 

ये थे सुझाव

डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय ने  कारागृह में कार्यरत लोगों की मानसिक तथा वहां की यंत्रणा के बारे में स्टडी किया। वहां पर कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों व कैदियों के पारिवारिक, मानसिक, शारीरिक व आर्थिक पहलुओं को देखते हुए तुलानात्मक अभ्यास किया। वह अभ्यास के साथ जेल में स्टॉफ की कमियों को पूरा किए जाने के साथ ही कई सुधार कार्यक्रम शुरू किए। महाराष्ट्र की जेलों में कैदियों के लिए गला भेंट (कैदियों का बच्चाें से मिलन) शुरू किए जाने पर कैदियों के जीवन में बदलाव आते देखा गया। इसके साथ ही कुछ और महत्वपूर्ण बातों का जिक्र हैं, जिसे गोपनीयता के चलते उजागर नहीं किया जा रहा है।  

समिति के सदस्य थे डॉ. उपाध्याय

वर्तमान शहर पुलिस आयुक्त डॉ. उपाध्याय ने कुछ वर्ष पूर्व भारत सरकार की बीपीआरडी की ओर से जो जेल सुधार समिति बनी है, उस समिति का वे हिस्सा बने थे। उस समिति ने समूचे देश के जेल में आने वाले सुधार व सुझाव के बारे में चर्चा कर तुलनात्मक अभ्यास किया गया। इसमें डॉ. उपाध्याय की अहम भूमिका थी। उनका जेलों को लेकर किए गए अभ्यास, उनकी नीति और कारागृह की ओर देखने के नजरिए को देखते हुए महाराष्ट्र शासन ने उन्हें रिकमंड किया था, जो भारत सरकार की जेल समिति में थे। इस समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश राधाकृष्णन भी शामिल थे। 

जेल में 25 फीसदी अपराध हुआ कम 

डॉ. उपाध्याय ने कहा कि एक ही जगह पर रहते हुए इंसान का दिमाग कई उलझनें पैदा करता है। इसके चलते जेलों में जब कोई मनोरंजन के साधन नहीं थे, तब जेलों में अपराध का प्रमाण करीब 25 फीसदी था। कैदियों में मारपीट व एक दूसरे पर जानलेवा हमला तक कर देते थे। कैदियों के अंदर अनुशासन आया है। इसके लिए विभिन्न विषयों पर संगोष्ठियां, परिसंवाद, कार्यशालाएं व सम्मेलन आयोजित करना है।  

क्या है बीपीआरडी

गृह मंत्रालय ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो में दोष सुधार प्रशासन प्रभाग की स्थापना की गई है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरडी) की स्थापना पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के बारे में भारत सरकार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए 28 अगस्त, 1970 को की गई थी। यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। 

जेलों में इंडस्ट्री का चलन 

नागपुर की जेल में इंडस्ट्री का चलन डॉ. उपाध्याय के कार्यकाल में शुरू हुआ था। जब वे नागपुर के जेल डीआईजी थे। तब उन्होंने नागपुर की जेल में इंडस्ट्री यानी की छोटे उद्योग शुरू किए थे। इसमें कैदियों को प्रशिक्षित किया जाता था। उस समय इस इंडस्ट्री की उत्पादन क्षमता करीब 15 करोड़ से शुरू हुई थी। बाद में जेल की इंडस्ट्री की उत्पादन क्षमता 28 करोड़ रुपए तक जा पहुंची थी। डॉ. उपाध्याय का मानना है कि शब्द वह मोहिनी है, जिससे दुनिया में कोई भी कार्य किया जा सकता है। इससे कोई भी अनर्थ टाला जा सकता है। जेल में वे कैदियों और जेल कर्मियों के बीच यही ‘सेतु’ बनाने की कोशिश करते रहे। 
 

Created On :   14 Feb 2019 6:31 AM GMT

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