टीनएज के चक्कर में बाल सुधारगृह भेज दिया, बालिग होने की बात पता चली तो छोड़ना पड़ा उन सभी 26 युवाओं को

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टीनएज के चक्कर में बाल सुधारगृह भेज दिया, बालिग होने की बात पता चली तो छोड़ना पड़ा उन सभी 26 युवाओं को

डिजिटल डेस्क,  नागपुर। नाबालिग समझकर 26 युवाओं को बालसुधार गृह भेज दिया गया जब उनकी आयु के बारे में पता चला तो उन्हें छोड़ना पड़ा। आयु के चक्कर में सभी को पांच दिन सुधारगृह में गुजारना पड़ा। दरअसल, बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से रोजगार की तलाश में कुछ युवक निकले थे। इन 26 युवाओं को नाबालिग समझकर बालगृह भेज दिया गया था, जबकि हकीकत ये थी कि सभी की उम्र 18 वर्ष से अधिक थी। उनके पास आधार कार्ड भी थे। जब उनके अभिभावकों ने यहां पहुंचकर दावे की पुष्टि की तो उन्हें छोड़ दिया गया, मगर उन्हें 5 दिन बालगृह में बिताने पड़े।

आधार कार्ड नहीं माना आधार
नाबालिग समझकर पकड़े गए 26 युवा नाबालिग नहीं थे। सभी की उम्र 18 वर्ष से अधिक थी। उनके पास आधार कार्ड भी थे। इसे फर्जी कहकर उनकी बात नहीं मानी गई। अपनी पीठ थपथाने के लिए बड़ी कार्रवाई दिखाकर उन्हें बिना वजह बाल गृह में रखा गया। रोजगार की तलाश में आए युवाओं को रोजगार मिलने से पहले ही चाइल्ड लाइन और आरपीएफ के जाल में फंस जाने पर निराश होकर वापस लौटना पड़ा।

तेलंगाना जा रहे थे
बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विविध शहरों से आए बेरोजगार युवा तेलंगाना रोजगार के लिए जा रहे थे। वे नागपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे, मगर ट्रेन आने से पहले ही उन्हें दबोच लिया गया था। इससे रोजगार पाने का उनका सपना अधूरा रह गया।

क्या कहता है बाल मजदूर कानून
बाल मजदूरी प्रतिबंधक कानून अंतर्गत 14 वर्ष तक बच्चों से श्रम कराना कानूनन गुनाह है। 14 से 18 वर्ष अायुवर्ग के किशोरों से खतरनाक स्थल पर श्रम नहीं कराया जा सकता।

पालकों के सुपुर्द किया गया
चाइल्ड लाइन और आरपीएफ ने रेलवे स्टेशन से 26 बच्चों को पकड़ा था। उन्हें बाल कल्याण समिति के आदेश पर बालगृह में रखा गया। उनके पालकों को सूचित किया गया। पालकों के पहुंचने पर सभी को उनके सुपुर्द किया गया है।    
विजयसिंह परदेशी, जिला महिला व बाल विकास अधिकारी

उस दिन यह हुआ था
दरअसल, चाइल्ड लाइन को मिली गुप्त सूचना के आधार पर आरपीएफ की सहायता से उन्हें पकड़ा गया था। चाइल्ड लाइन एक ऐसा गैर-सरकारी संगठन है, जो बच्चों के हित की रक्षा के लिए कार्य करता है। अनाथ और निराश्रित तथा स्कूल नहीं जा पाने वाले गरीब बच्चों की सहायता करता है। फोन से मिलने वाली सूचना के आधार पर संगठन के कार्यकर्ता वहां पहुंचकर बच्चों को संकट से मुक्त कराने का काम करते हैं। इस संगठन को आने वाले अधिकांश फोन बाल मजदूरी से छुटकारा दिलाने के लिए आते हैं। ऐसा ही एक फोन चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर पर आया था। चाइल्ड लाइन की टीम रेलवे स्टेशन पहुंची। आरपीएफ की सहायता से उन्हें खोजा गया। उन्हें पकड़कर बाल मजदूर कानून अंतर्गत बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश कर बाल गृह भेज दिया गया था।

Created On :   15 April 2019 11:45 AM IST

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