- Home
- /
- महाराष्ट्र : आदिवासी क्षेत्र में 17...
महाराष्ट्र : आदिवासी क्षेत्र में 17 महीने में 26 हजार बच्चों की मौत, HC ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आदिवासी क्षेत्र में 17 महीने में 26 हजार बच्चों की मौत को जानने के बाद बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि हाल के दिनों में इन इलाकों में कितने मेडिकल कैंप आयोजित किए है। कोर्ट ने कहा कि सरकार अपने कार्यों के जरिए दर्शाए कि वह आदिवासी इलाकों में रह रहे लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं देने और पोषक आहार प्रदान करने को लेकर विशेष कदम उठा रही है।
इससे पहले जस्टिस नरेश पाटील और जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच के सामने आदिवासी इलाकों में बच्चों की मौत को लेकर याचिकाकर्ता बंडू साने की ओर से एक अखबार में प्रकाशित खबर की प्रति दिखाई गई। खबर के मुताबिक बच्चों की मौत कुपोषण के चलते कम समय से पहले बच्चे का जन्म होना, जन्म के दौरान बच्चे का कम वजन होना, जंतुसंसर्ग और सांस लेने में तकलीफ सहित अन्य कारणों के चलते ज्यादा हुई है। इस पर बेंच ने कहा कि सरकार गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से आदिवासी इलाकों में मेडिकल कैंप आयोजित करें। क्या इन इलाकों में इस तरह के शिविर आयोजित किए गए? सालाना सरकारी मेडिकल कालेज से कितने बच्चे MBBS की डिग्री लेकर निकालते है इसकी जानकारी हमे बुधवार को प्रदान की जाए।
सरकार टेलिमेडिसिन के जरिए दे रही सहायता
इस दौरान सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने कहा कि सरकार की ओर से आदिवासी इलाकों में कई मेडिकल कैंप आयोजित किए गए हैं। सरकार इन इलाकों में रहने वाले लोगों को टेलिमेडिसिन के जरिए भी मेडिकल से जुड़ी सहायता प्रदान कर रही है। इसके अलावा सरकार डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर अब महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग को भी दरकिनार कर रही है। अब डॉक्टरों की नियुक्ति कमेटी के माध्यम से मैरिट के जरिए करने पर विचार किया जा रहा है। इलाके में पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। कुछ नियुक्तियां ठेके पर और एड हाक आधार पर की गई है।
इस बीच याचिकाकर्ता बंडू साने ने कहा कि डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर एक स्पष्ट नीति की जरुरत है। जो सरकार नहीं बना रही है, क्योंकि MBBS की डिग्री मिलने के बाद डॉक्टर पोस्टिंग के लिए भटकते रहते है। इस दौरान उन्होंने बेंच को 26 हजार बच्चों की मौत को लेकर छपी खबर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार शून्य से 6 वर्ष के बच्चों की मौत के आकड़ों का सरकार कोई रिकॉर्ड नहीं रखती है।
उन्होंने कहा कि मानधन कम होने के चलते डॉक्टर मेडिकल कैंप में नहीं आते है। इस पर बेंच ने कहा कि कई डॉक्टर ऐसे है जो मानधन की चिंता नहीं करते वे निशुल्क सेवा देने को तैयार रहते है। बशर्ते उनसे सही तरीके संपर्क किया जाए। इसलिए सरकार गैर सरकारी संस्थाओं की मदद से अथवा खुद इन डॉक्टरों से संपर्क करें।
Created On :   10 July 2018 10:28 PM IST