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30 एकड़ में बननी थीं 28 इमारतें, एक नहीं बनी, पीड़ितों को आज भी अपनी छत का इंतजार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लिमेश कुमार जंगम। "द पाम सिटी" के नाम से वर्ष 2011 में अष्टविनायक प्लॉनर एंड डेवलपर्स के संचालक गिरीश जायसवाल एवं अजय जायसवाल ने एक विशाल आवास परियोजना की शुरुआत की। इसके लिए जो प्रसार-प्रचार की सामग्री बनाई गई, उसमें आशियानों की चाह रखने वाले फ्लैट खरीदारों को लुभाने के लिए न केवल पाम का बगीचा दर्शाया गया, बल्कि इंटरनेशनल लेवल की सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे किए गए। 30 एकड़ के विशाल परिसर में 28 इमारतों का निर्माण कराकर यहां वर्ल्ड क्लास स्वीमिंग पूल, क्रिकेट मैदान, फ्लड लाइट, क्लब हाउस, जिम, कम्युनिटी सेंटर, ग्रंथालय आदि उपलब्ध कराने का सब्जबाग दिखाया।
लुभावने विज्ञापन का शिकार हुए करीब 150 लोगों ने यहां 18 से 22 लाख रुपए तक खर्च कर अपने फ्लैट बुक किए। बिल्डरों ने इस प्रोजेक्ट से करीब 30 करोड़ रुपए वसूल लिए। बदले में 28 इमारतों की जगह पर 7 इमारतों का ढांचा नजर आता है। इनमें से किसी इमारत का कोई फ्लैट पूर्ण रूप से नहीं बनाया जा सका है। जिन 8 शिकायतकर्ताओं ने इन बिल्डरों के खिलाफ 10 माह पूर्व थाने में शिकायत कर रखी है, उन्हें 24 माह में फ्लैट देने का एग्रीमेंट बिल्डरों ने किया था। इस वादाखिलाफी के खिलाफ अब वे रेरा कानून के तहत अपनी जंग को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में अग्रसर हैं।
चेक बाउंस में हो चुकी है सजा
बिल्डर गिरीश जायसवाल एवं अजय जायसवाल के खिलाफ वर्ष 2017 के एक मामले में शिकायतकर्ता संदीप खांडेकर ने फ्लैट खरीदने के लिए करार किया था। जिसके बाद राशि लौटाने की बारी आई तो गिरीश व अजय जायस्वाल ने उन्हें 50- 50 हजार रुपए वाले 2 चेक थमा दिए थे। जब उक्त चेक बाउंस हुए तो इस मामले को न्यायालय में दायर किया गया। इसके बाद बीते पखवाड़े में इन जायस्वाल बिल्डरों के खिलाफ कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 45 दिन के अंदर 70- 70 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति एवं दो माह के कारावास की सजा सुनाई है। उपरोक्त राशि अदा न किए जाने पर 4 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा देने का फैसला किया गया है। बहरहाल इस मामले में आरोपियों ने जमानत ले रखी है।
कागजों पर साकार किया लुभावना सपना
सुंदर आशियाना हो, यह हर किसी का सपना होता है। इसी सपने को भुनाने के लिए अष्टविनायक प्लॉनर एंड डेवलपर्स के संचालक गिरीश जायसवाल एवं अजय जायसवाल ने द पाम सिटी के नाम से रंगीन ग्लॉसीपेपर में जो हरा-भरा व लुभावना सपना बेचा, उसकी चपेट में नौकरीपेशा से लेकर सेना में उच्च पदों पर रहे अधिकारी भी आ गए। 18 से 22 लाख रुपए में टू एचएचके व थ्री बीएचके के 201 फ्लैट की योजना बनाई गई। इनमें से 150 फ्लैट बेचे भी गए। वर्धा रोड पर मौजूद सहारा सिटी के पीछे स्थित गौसी मानापुर में करीब 30 एकड़ में इस प्रोजेक्ट को विकसित करने का सपना फ्लैटधारकों को दिखाया गया, लेकिन केवल 3 एकड़ में ही प्रोजेक्ट की शुरुआत की।
कागजों पर सजाए गए तीन मंजिला 28 इमारतों के निर्माण का इस प्रोजेक्ट को आकर्षक ढंग से चित्रित किया गया, परंतु असल में केवल सात इमारतों की ही नींव रखी गई। इनमें से किसी भी इमारत का एवं किसी भी फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका, जिसके चलते फर्जी सपने बेचने वाले इस बिल्डर के खिलाफ अब फ्लैटधारकों ने जंग शुरू कर दी है।
75 फीसदी कार्य पूर्ण, शेष कार्य एक वर्ष में
गिरीश जायसवाल, संचालक, अष्टविनायक प्लॉनर एंड डेवलपर्स का कहना है कि फिलहाल 9 एकड़ में 7 इमारतों का निर्माण कार्य जारी है। 201 फ्लैट बन रहे हैं। 75 फीसदी कार्य हो चुका है। शेष कार्य एक वर्ष में पूर्ण किया जाएगा। 50 फ्लैट नहीं बिक पाए हैं, इसलिए निर्माण गति धीमी हुई है। जो 150 फ्लैट बिके है, उनसे केवल 65 प्रतिशत ही रकम मिल पाई है। 18 से 20 लाख में फ्लैट बेचे गए। स्ट्रक्चर पूरा तैयार है, प्लास्टर जारी है। चेक बाउंस का मामला इस प्रोजेक्ट से संबंधित नहीं है। चेक की राशि संबंधित व्यक्ति को लौटा दी जाएगी। 24 माह में फ्लैट तैयार करना संभव नहीं हो पाया। अनेक एग्रीमेंट में 36 माह का उल्लेख है। एक वर्ष के भीतर सभी कार्य पूर्ण कर फ्लैट वितरित किए जाएंगे। एनआईटी से मंजूरी मिल चुकी है। स्वीमिंग टैंक व लॉन बन गया है। शेष सुविधाएं भी उपलब्ध कराएंगे। बावजूद जिनकी शिकायतें हैं, उनसे भेंट कर चर्चा के माध्यम से उनकी समस्याएं हल करेंगे।
शीघ्र करेंगे कार्रवाई
संजय परदेसी, सहायक पुलिस निरीक्षक धंतोली थाना ने बताया कि गुरुवार को 8 लोगों ने अष्टविनायक डेवलपर्स के खिलाफ कथित धोखाधड़ी की लिखित शिकायत की है। शिकायतकर्ताओं ने इस मामले में अनेक दस्तावेज भी सौंपे है। शीघ्र ही इन दस्तावेजों की जांच की जाएगी। यदि शिकायत में तथ्य नजर आएंगे तो तय कानूनी धाराओं के तहत उचित कार्रवाई की जाएगी।
तथ्य होंगे तो दर्ज होगा मामला
एडवोकेट राजेश नायक, विशेषज्ञ अधिवक्ता के मुताबिक शिकायतकर्ताओं की ओर से की गई शिकायत में यदि तथ्य होंगे और उसे साबित करने के लिए उपयुक्त दस्तावेज उपलब्ध होंगे संबंधित बिल्डर के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 405, 406, 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया जा सकता है। फ्लैटधारकों को चाहिए कि वे अपने फ्लैट की बुकिंग करते समय हर तरह से पड़ताल कर लें। किसी व्यक्ति अथवा विज्ञापन के बहकावे में न आते हुए सजगता से जांच करने के बाद ही अपनी जमा पूंजी का निवेश करना चाहिए।
Created On :   29 July 2018 3:36 PM IST