281 करोड़ रुपए से होगा दीक्षाभूमि का विकास , दो चरणों में होगा काम

281 crore will be spend in development of dikhsabhoomi nagpur
281 करोड़ रुपए से होगा दीक्षाभूमि का विकास , दो चरणों में होगा काम
281 करोड़ रुपए से होगा दीक्षाभूमि का विकास , दो चरणों में होगा काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  दीक्षाभूमि को "ए" श्रेणी के पर्यटन स्थल का दर्जा प्राप्त है। इसका विकासकार्य दो चरणों में पूरा किया जाएगा, जिस पर कुल 281 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) और नागपुर सुधार प्रन्यास ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में शपथ-पत्र के माध्यम से यह जानकारी दी है। कोर्ट को बताया गया है कि विकासकार्य के लिए नोएडा की डिजाइन असोसिएट इनकॉर्पोरेशन को प्रोजेक्ट आर्किटेक्ट के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्होंने दीक्षाभूमि के विकास का प्रारूप तैयार किया है, जिसमें स्तूप विस्तारीकरण, सुरक्षा दीवार, गेट काॅम्प्लेक्स, वॉच टॉवर, पार्किंग बेसमेंट, शौचालय, पेयजल, स्टेज, पानी की टंकी, सीवर लाइन जैसे अन्य पहलुओं का समावेश है। दीक्षाभूमि के विकास के पहले चरण में 100.47 करोड़ रुपए का कार्य किया जाएगा। अब तक 40 करोड़ रुपए आ गए हैं। दूसरे चरण में 181 करोड़ रुपए का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। मामले में हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई रखी है। एनएमआरडीए की ओर से एड.गिरीश कुंटे ने पक्ष रखा। 

यह है मामला
हाईकोर्ट में एड.शैलेश नारनवरे ने जनहित याचिका दायर कर दीक्षाभूमि के विकास का मुद्दा उठाया है। याचिकाकर्ता के अनुसार, दीक्षाभूमि का भी ठीक वैसा ही विकास होना चाहिए, जैसा प्रदेश में अन्य धार्मिक स्थलों का किया गया है। याचिका में शेगांव, नाशिक, त्र्यंबकेश्वर, पंढरपुर, शिर्डी, ड्रैगन पैलेस कामठी जैसे स्थलों का हवाला दिया गया है। यह भी कहा गया है कि सरकार ने समुद्र में शिवाजी महाराज का पुतला खड़ा करने के लिए 3600 करोड़ खर्च करने की तैयारी की है। याचिकाकर्ता के अनुसार, नागपुर स्थित दीक्षाभूमि सांस्कृतिक, एेतिहासिक और शैक्षणिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। दिनोंदिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। इसलिए सेंट्रल मास्टर प्लान बना कर दीक्षाभूमि का विकास किया जाना चाहिए। दीक्षाभूमि पर 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती और 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर लाखों की संख्या मंे श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन इन आयोजनों का ठीक से प्रबंधन नहीं किया जाता। इससे श्रद्धालुओं और आस-पास के निवासियों को असुविधा होती है। 

Created On :   19 Feb 2019 6:33 AM GMT

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