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कोरोना के कचरों के निस्तारण के लिए राज्यभर में 30 ट्रीटमेंट केंद्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई । महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने बॉम्बे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि कोरोना संबंधित जैविक कचरे के निस्तारण के लिए राज्य के 36 जिलों में 30 ट्रीटमेंट केंद्र स्थापित किए हैं। यह केंद्र आम सुविधा के तौर पर बनाए गए हैं। जहां कोरोना के जैविक कचरे को सुरक्षित व वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाता है। एमपीसीबी के क्षेत्रिय अधिकारी शंकर वाघमारे ने इस संबंध में अदालत में हलफनामा दायर किया है।
यह हलफनामा हाईकोर्ट की ओर से एक जनहित याचिका पर दिए गए निर्देश के तहत दायर किया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि कोरोना के उपचार करनेवाले स्थानों से निकलने वाले जैविक कचरे को म्यूनिसपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमावली 2000 के तहत नष्ट किया जाता है। 82 प्रतिशत शहरी स्थानीय निकायों ने अपने यहां कोरोना के कचरे को नष्ट करने के लिए अलग व्यवस्था बनाई है। जहां काफी गहराई में कोरोना के कचरे को गाड़ा जाता हैं। एमपीसीबी ने कचरे के इकट्ठा व नष्ट करने की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए व्यवस्था भी बनाई है। कल्याण में आधारवाड़ी में कोरोना के कचरे को नहीं नष्ट किया जाता। कचरे को दूसरी जगह पर ले जाया जाता है। प्रतिबंधित क्षेत्र के कचरे के लिए अलग से व्यवस्था है। इस संबंध में शिकायत के लिए भी व्यवस्था बनाई गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता किशोर सोहनी ने इस विषय पर अधिवक्ता साधना कुमार के माध्यम से जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि कल्याण डोंबिवली इलाके में कचरा नष्ट करने से जुड़े नियमों की अनदेखी करके आधारवाड़ी डम्पिंग ग्राउंड में अस्पताल व पैथोलॉजी लैब से निकलनेवाले कोरोना से संबंधित जैविक कचरे को नष्ट किया जाता हैं।याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कचरे को नष्ट करने को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। नियमानुसार कोरोना से जुड़े कचरे को डिब्बे में स्टिकर लगाकर अलग रखना चाहिए। ऐसे कचरे को नष्ट करने से पहले उस पर प्रक्रिया किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने अगले सप्ताह इस याचिका पर सुनवाई रखी है।
Created On :   15 July 2020 6:55 PM IST