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30 सप्ताह का गर्भ गिराने की कोर्ट ने नहीं दी इजाजत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने रेप पीड़िता को उसका 30 सप्ताह का गर्भ गिराने की इजाजत देने से इंकार कर दिया है। मेयो में गठित विशेष समिति की रिपोर्ट को मद्देनजर रखते हुए हाईकोर्ट ने उस महिला की याचिका खारिज कर दी।
जांच के लिए गठित समिति का निर्णय
दरअसल, गर्भ 20 सप्ताह से अधिक का हो चुका था इसलिए सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार नागपुर खंडपीठ ने इस प्रकरण में पीड़िता की जांच के लिए मेयो में चिकित्सकों की एक विशेष टीम गठित की थी। अधिष्ठाता के नेतृत्व वाली इस टीम में पीडियाट्रिशियन, गायनोक्लॉजिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट को शामिल किया गया था। महिला की जांच के बाद मेयो गायनोक्लॉजिस्ट विभाग प्रमुख डॉ. प्रशांत उईके ने कोर्ट में समिति की निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की। समिति के अनुसार, महिला की पिछली दोनों डिलीवरी सीजर हुई थी। अब एक बार फिर गर्भ गिराने की कोशिश की गई, तो महिला की जान को खतरा हो सकता है। समिति ने यह भी खुलासा किया कि कुछ माह के बाद उसे अपने गर्भवती होने की जानकारी थी। पहले भी स्थानीय अस्पताल में गर्भ गिराने की कोशिश की थी, और अब पांच माह के बाद वह फिर गर्भपात कराना चाहती थी। लेकिन अब शायद उसके गर्भ में जान आ चुकी है, और ऐसी स्थिति में गर्भपात कराना सही नहीं होगा। इसे सुनने के बाद कोर्ट ने उसे गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया। मामले में सरकार की ओर से सरकारी वकील सागर आशीरगडे ने पक्ष रखा।
ये है मामला
आरोपी दो बच्चों का पिता है। महिला इस आरोपी के घर में सुबह 6 से 10 बजे तक काम करती थी। एवज में उसे ~350 प्रति सप्ताह मेहनताना मिलता था। अक्टूबर 2017 के करीब आरोपी ने महिला को साफ-सफाई के बहाने रोका और उसकी मजबूरी का फायदा उठाकर शिकार बनाया। पीड़िता ने आरोपी की पत्नी को इस बात की जानकारी देकर काम छोड़ दिया। दो सप्ताह बाद आरोपी के बेटे और बहू ने पीड़िता को समझा-बुझाकर फिर से काम पर आने के लिए राजी कर लिया, लेकिन इसके बाद फिर आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया और किसी को न बताने के लिए धमकाया। महिला ने फिर एक बार फिर घर का काम छोड़ दिया। करीब दो माह बाद हिम्मत जुटाकर पीड़िता ने अपने घर वालों को सारी बात बताई। इधर आरोपी ने पीड़िता को गर्भपात कराने के लिए पांच हजार रुपए भी दिए, लेकिन नियमानुसार गर्भपात नहीं करा पाने के कारण पीड़िता ने अब कोर्ट की शरण ली । मामले में पीड़िता ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से लेकर खामगांव पुलिस को भी शिकायत दी थी।
Created On :   29 March 2018 10:55 AM IST