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महाराष्ट्र में इस शहर की 34 मराठी शालाएं हुई बंद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में NMC की करीब 34 मराठी शालाएं बंद हो गई हैं। मनपा ने हाई कोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल करते हुए बताया कि मराठा शालाओं में विद्यार्थियों की संख्या न के बराबर है। पालक भी अपने बच्चों को मराठी शाला में प्रवेश दिलाने उत्सुक नहीं है। यही कारण है कि मनपा की कुल 81 मराठी माध्यम की प्राथमिक शालाओं में से 34 को बंद करने की नौबत आई।
प्रशासन की भूमिका उदासीन
NMC की मराठी शाला बचाने के लिए अखिल भारतीय दुर्बल समाज विकास संस्था के अध्यक्ष लीलाधर कोहले व धीरज भिसीकर ने मुंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया कि मनपा विविध कारणों से मराठी माध्यम की प्राथमिक शालाएं बंद की जा रही हैं। दरअसल, इसके पीछे सरकार और मनपा की उदासीन भूमिका है। इन शालाओं को बचाने के लिए सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। पिछले कुछ वर्षों में शाला में विद्यार्थियों की संख्या बड़े पैमाने पर घटी है। विशेष यह कि बंद शालाओं के परिसर में असामाजिक तत्वों का कब्जा है। परिसर अवैध धंधों के लिए इस्तेमाल हो रहा है। कुछ शालाओं के परिसर में जानवर का तबेला है। याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद न्यायालय ने प्रतिवादियों को नोटिस भेजकर शपथ-पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए थे।
पालकों के सम्मति-पत्र पेश करने के निर्देश
मनपा ने मराठी शाला बंद करने के मुद्दे पर हाई कोर्ट में शपथ-पत्र द्वारा जवाब पेश किया है। इसके अनुसार, वर्ष 2012-13 से वर्ष 2017-18 तक 81 शालाओं में से 34 बंद कर पास की शालाओं में विद्यार्थियों और शिक्षकों को समायोजित किया गया है। प्राथमिक शिक्षण अनिवार्य और नि:शुल्क विधेयक 2009 अनुसार पहली से कक्षा पांचवीं में शिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों की एक शाला में कम से कम संख्या 20 होनी चाहिए। लेकिन सिर्फ 10 से 15 विद्यार्थी होने के कारण अनेक शालाओं को बंद करना पड़ा। इस पर हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मराठी शाला में प्रवेश लेने वाले उत्सुक पालकों के सम्मति पत्र पेश करने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. आशुतोष धर्माधिकारी ने पक्ष रखा। अगली सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद रखी गई।
Created On :   24 April 2018 12:03 PM IST