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सीएम रिलीफ फंड में जमा हुए 342 करोड़, 25 फीसदी भी नहीं हुए खर्च

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमित लोगों के लिए लोगों से अर्थिक सहयोग के लिए विशेष रूप से खोले गए महाराष्ट्र के सीएम रिलीफ फंड कोविड-19 अकाउंट में दानदाताओं की मदद से 342 करोड़ रुपए जमा हुए। लेकिन जिस कोविड के नाम पर दान दिया गया उस पर सिर्फ 23 करोड़ 82 हजार रुपए खर्च हुए। जबकि 262 करोड़ से ज्यादा रकम अभी खर्च नहीं हुई है। आरटीआई के तहत यह जानकारी सामने आई है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रिलीफ फंड कोविड-19 अकाउंट में जमा हुई कुल धनराशि और आवंटित धनराशि का ब्योरा मांगा था। सीएम रिलीफ फंड की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक सबसे अधिक धनराशि 55 करोड़ 20 लाख रुपए प्रवासी मजदूरों की यात्रा पर खर्च हुए हैं। वही 80 लाख रुपए औरंगाबाद रेल दुर्घटना के प्रभावितों को दिए गए हैं
रेल हादसा व प्रवासियों पर खर्च की राशि
सीएम रिलीफ फंड के सहायक लेखाधिकारी मिलिंद काबाडी के अनुसार, 18 मई 2020 तक कुल 342.01 करोड़ रुपए की धनराशि जमा हुई हैं। इस धनराशि से कुल 79,82,37,070 रुपए खर्च किए गए हैं। खर्च हुई धनराशि से कोविड-19 पर सिर्फ 23 करोड़ 82 लाख 50 हजार रुपए खर्च किए गए हैं। इसमें से 20 करोड़ रुपए सेंट जार्ज अस्पताल,मुंबई को आवंटित किया गया। 3 करोड़ 82 लाख 50 हजार रुपए मेडिकल शिक्षा और संशोधन विभाग को दिए गए हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए जो रकम आवंटित की गई हैं उसे राज्य के कलेक्टरों को सौंप दिया गया है। ताकि रेलवे के किराया का समय से भुगतान हो सकें। इसमें 36 जिलों के प्रवासी मजदूरों का किराया 53,45,47,070 रुपए बताया गया हैं। रत्नागिरी के मजदूरों का रेलवे किराया 1.30 करोड़ रुपए और सांगली के मजदूरों का रेलवे का किराया 44.40 लाख रुपए अदा किया गया है। औरंगाबाद में हुए रेल दुर्घटना के मृतकों के रिश्तेदारों को 80 लाख रुपए की आर्थिक मदद सीएम रिलीफ फंड कोविड -19 के अकाउंट से की गई हैं।
स्वास्थ्य सेवा पर खर्च की सिर्फ 7 फीसदी रकम
गलगली के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने कोविड 19 को लेकर कुल जमा रकम में से सिर्फ 7 प्रतिशत रकम स्वास्थ्य सेवा पर खर्च की हैं। प्रवासी मजदूरों की रेलवे टिकट पर 16 प्रतिशत रकम खर्च की गई है। रेलवे दुर्घटना के मृतकों पर 0.23 प्रतिशत रकम खर्च की गई हैं। आज भी सीएम रिलीफ फंड में रु 262.28 करोड़ रुपए की धनराशि जमा हैं। अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे को पत्र लिखकर मांग की हैं कि मनपा, सरकारी अस्पतालों में मेडिकल से जुड़ी सेवाओं की पूर्ति पर अगर रकम खर्च की जाती है तो निश्चित तौर पर दानदाताओं को भी सुकून मिलेगा कि उनका धन सही काम में इस्तेमाल हुआ हैं।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।