खरीफ सीजन : 42 कंपनियों के 370 कपास बीजों को मंजूरी

370 cotton seeds approved of 42 companies in maharashtra
खरीफ सीजन : 42 कंपनियों के 370 कपास बीजों को मंजूरी
खरीफ सीजन : 42 कंपनियों के 370 कपास बीजों को मंजूरी

डिजिटल डेस्क, वर्धा। खरीफ सीजन में किसानोंं के साथ किसी तरह की धोखाधड़ी न हो इसे ध्यान में रखते लिए राज्य सरकार ने बीटी कॉटन के बीजों की जांच कराई, जिसके तहत 42 कंपनियों के 370 बीजों को मंजूरी दी  गई है। इसके तहत कृषि विभाग के www.krishi maharastra.in  बीजों की जानकारी दी गई है।  साथ ही हर एक तहसील स्तर पर तहसील कृषि अधिकारी कार्यालय व पंचायत समिति कार्यालय में जानकारी उपलब्ध कराई है। वर्धा जिले के किसान ये बीज खरीद सकते हैं। ऐसी जानकारी जिलाधिकारी शैलेश नवाल ने दी है।

जिलाधिकारी ने कहा है कि सभी कपास उत्पादक किसान सरकारी मंजूरी प्राप्त बीजों का ही उपयोग करें। इसके अलावा राज्य में अन्य बीज बिक्री होते हुए पाए जाने पर इस संबंध में पंचायत समिति या तहसील कृषि अधिकारी कार्यालय में सूचना देने का आह्वान किया गया है। वर्ष 2006  से जनुकीय परावर्तित तकनीक पर आधारित बीज यानि बोंड इल्लियों के लिए प्रतिकारक बीटी बीजों का इस्तेमाल हो रहा है। बीटी बीजों के अंतर्गत कपास क्षेत्र आज राज्य में कुल कपास क्षेत्र के करीब 98 फीसदी है। ऐसे अनुमति प्राप्त व  राज्य के लिए सिफारिश वाले कपास बीजों को राज्य में बिक्री के लिए अनुमति दी गई है।

गत वर्ष तक ऐसे JEAC मान्यता प्राप्त बीजों के उत्पादक कंपनी के साथ विपणन करार द्वारा को-मार्केटिंग करने वाले अन्य कंपनी भी बिक्री करती थी। ऐसे को-मार्केटिंग करार द्वारा बिक्री करते समय JEAC ने मंजूर किए नाम के अलावा अन्य अलग-अलग ब्रैन्डनेम डालकर एक ही बीज अनेक ब्रैंड से बेचने की बात ध्यान में आयी। इस तरह से मूल कंपनी के 402  बीजों की गत वर्ष 624 अलग-अलग नाम से बिक्री की गई थी, जिस कारण किसानों में भ्रम निर्माण होकर धोखाधड़ी होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके चलते इस वर्ष  के खरीफ मौसम से जीईएससी द्वारा मंजूर किए नाम से ही बिक्री करने की नीति सरकार ने तय की है।

मूल उत्पादक कंपनी ने कपास बीजों की पैकिंग करते समय JEAC मान्यता प्राप्त नाम बड़े अक्षरों में पैकिंग व लेबलिंग करने के निर्देश दिए हैं। इस कंपनी के नाम के अलावा उनका  बै्रंडनेम डाल सकते हैं। लेकिन एक बीज के लिए एक ही ब्रैडनेम तय करना होगा। मूल उत्पादक द्वारा मंजूर बीजों की को-मार्केटिंग द्वारा अन्य कंपनी को बिक्री करनी है तो मूल उत्पादक कंपनी के पैकिंग व लेबल के तहत बिक्री करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।  उल्लेखनीय है कि  गत वर्ष गुलाबी बोंड इल्लियों का प्रकोप बढ़कर कपास उत्पादन में कमी दर्ज की गई। गुलाबी बोंड इल्लियों के नियंत्रण के लिए कृषि विद्यापीठ ने चयनित बीजों का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है, जिससे इस वर्ष से राज्य में 180  दिनों से अधिक लंबे समय के लिए बीजों की बिक्री को मंजूरी नहीं दी गई है।

Created On :   1 Jun 2018 3:56 PM IST

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