रिपोर्ट : 5 साल में 386 रेप केस, कठिन शर्तों  के कारण 45% को नहीं मिल सका मुआवजा

386 rape cases last 5 years- 45% not compensated due to complicated conditions
रिपोर्ट : 5 साल में 386 रेप केस, कठिन शर्तों  के कारण 45% को नहीं मिल सका मुआवजा
रिपोर्ट : 5 साल में 386 रेप केस, कठिन शर्तों  के कारण 45% को नहीं मिल सका मुआवजा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  लिमेश कुमार जंगम। इंसानियत और समाज को शर्मसार कर देने वाली दुष्कर्म की खबरें झकझोर देती हैं। हालांकि कानून और नियमों में बदलाव के अलावा रेप मामलों को फार्स्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने और पीड़ितों को मुआवजा देकर पुनर्वास की पहल सरकार कर रही है। मगर पिछले 5 सालों के आंकड़े देखें तो 386 रेप मामलों में जटिल शर्तों के कारण 45% को मुआवजा नहीं मिल सका है। महाराष्ट्र सरकार ने 21 अक्टूबर 2013 को ‘मनोधैर्य’ नाम से योजना शुरू की थी, जिसमें दुष्कर्म व एसिड हमलों में पीड़ित महिलाओं और बच्चों को आर्थिक मुआवजा देने, पुनर्वास नीति तैयार की गई।

समय-समय पर इस नीति में बदलाव किए गए, लेकिन जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। जिला परिषद के महिला और बाल कल्याण विभाग के पास बीते 5 वर्षों में कुल 386 मामले मुआवजे के लिए पहुंचे। इनमें से 306 प्रकरणों को मंजूर किया गया। जिसके तहत महज 214 पीड़ितों को ही आर्थिक मदद मिली। 92 पीड़ित आज भी मुआवजे के इंतजार में हैं, जबकि 80 प्रकरणों को विविध कारणों के चलते लंबित व नामंजूर की सूची में डाल दिया गया है। कुल-मिलाकर ‘मनौधैर्य’ योजना का लाभ 55.44 प्रतिशत पीड़ितों को ही मिल पाया है।

5 करोड़ 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता
‘मनोधैर्य’ योजना के तहत स्थानीय प्रशासन की ओर से जांच-पड़ताल के बाद 306 मंजूर मामलों में दुष्कर्म पीड़ित 214 महिलाओं को सरकार की ओर से 5 करोड़ 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। जब 21 अक्टूबर 2013 को सरकार ने अध्यादेश जारी कर इस योजना की शुरुआत की तो स्थानीय प्रशासन के पास अक्टूबर, नवंबर एवं दिसंबर तक के करीब 70 दिन में एक भी प्रकरण नहीं पहुंचाने की जानकारी दर्ज है। जनवरी 2014 से इस योजना को नागपुर में लागू किया गया। योजना में दुष्कर्म पीड़ितों को मदद दिलाने के लिए सरकार ने जो मापदंड तय किए हैं, वह जटिल है।

वारदात में एफआईआर दर्ज होने के बाद उसकी कॉपी व संबंधित कागजातों को पुलिस जांच अधिकारी के माध्यम से जिला विधि सेवा प्राधिकरण को एक घंटे के भीतर मेल करना होगा। इसके बाद संबंधित पीड़ित महिला को स्वास्थ्य सहायता व मानसिक आधार देने के लिए गठित की गई ट्रॉमा टीम की ओर से तत्काल सुविधाएं उपलब्ध कराना होगा। जिला विधि सेवा प्राधिकरण को प्राप्त दस्तावेजों के बाद 7 दिन के भीतर पीड़ित को 30,000 रुपए की मदद उसके उपचार के लिए मंजूर करना होगा। इसके बाद प्रकरण की गहन जांच-पड़ताल कर प्राधिकरण को 120 दिन में शेष राशि पीड़िता के लिए मंजूर करना होगा।

मंजूर राशि में से शुरुआती 30,000 रुपए की कटौती कर शेष राशि में से 25 प्रतिशत राशि पीड़ित अथवा उसके अभिभावक को नकद स्वरूप में देने का प्रावधान है, जबकि बकाया 75 प्रतिशत राशि पीड़िता के नाम से बैंक में डिपॉजिट कर उसकी रसीद देने का प्रावधान किया गया है।

हर सालखाते के लिए निधि उपलब्ध
राज्य सरकार हर साल इस खाते के लिए निधि उपलब्ध कराती है। इसके अलावा निजी कंपनियों, संस्थाओं द्वारा सीएसआर के माध्यम से निधि प्राप्त की जाती है। अब प्राधिकरण को मुआवजा योग्य मामले के लिए एफआईआर, अधिकृत सरकारी व अर्धसरकारी अस्पतालों के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा प्रमाणित प्राथमिक मेडिकल रिपोर्ट, सीआरपीसी 164 के तहत न्यायाधीश के समक्ष दिया गया बयान या प्राधिकरण द्वारा दर्ज बयान, वारदात की सत्यता जांचने संबंधित जानकारी, कागजात व संबंधित संस्थाओं के प्राधिकारियों की राय से जुड़ी प्रक्रिया की पूर्ति करने का प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली डोमेस्टिक वर्किंग वुमन फोरम के 1995 मामले में दुष्कर्म की वारदातों में पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास एवं उन्हें आर्थिक सहायता देने के लिए न्यायालय ने निर्देश जारी किए थे। 11 फरवरी 2011 के अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसिड हमले में पीड़ित महिलाओं को भी आर्थिक मदद देने का निर्देश दिया था। वहीं पॉक्सो कानून के लागू होने के बाद पीड़ित बच्चों को भी इस योजना में शामिल करने के निर्देशों के साथ सूचना व मार्गदर्शन तत्व जारी किए गए थे। इस पार्श्वभूमि पर महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में 2 अक्टूबर 2013 से ‘मनोधैर्य’ योजना की शुरुआत की।

‘मनोधैर्य’ योजना के तहत दी गई सहायता

वर्ष             प्रकरण    मंजूर    नामंजूर      मदद    प्रतीक्षारत    वितरित निधि

2013-14     15         10       5               10         0             11 लाख
2014-15     88         75       13             75         0             86 लाख
2015-16     98         79       19             69       10            216 लाख
2016-17    123        95       28             60       35            207 लाख
2017-18     62         47       15              -         47             -

कुल            386      306       80            214      92            520
 

 

Created On :   1 July 2018 11:47 AM GMT

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