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कृत्रिम पैरों से फिर खड़े हो सकेंगे 39 विकलांग, मिला आत्मविश्वास

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ग्रामीण इलाके से आए करीब 50 वर्षीय वामन पाटील (परिवर्तित नाम) कृत्रिम पैर लगने पर भावुक हो गए। कहा-अब मेरे बच्चे फिर मेरा सम्मान करने लगेंगे। एक दुघर्टना में एक पैर गंवा देने वाले वामन के अनुसार पैर नहीं रहने पर उनका कामकाज छूट गया और कमाई नहीं होने पर अपने ही परिजन उनसे कतराने लगे। वामन पाटील समेत 39 दिव्यांगों को को आइएमए हॉल आयोजित शिविर में नि:शुल्क कृत्रिम पैर लगाए गए। नागपुर के मिशन इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग रिसर्च एंड एक्शन और चेन्नई के फ्रीडम ट्रस्ट की ओर से आयोजित शिविर में नागपुर समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों से आए लोगों को फिर अपने पैर पर खड़े होने से जीवन में उम्मीद की किरण नजर आ रही है।
संस्था की ओर से 25 मार्च सिविल लाइंस स्थित आमदार निवास में इन लोगों के पैर का माप लिया गया था, ताकि सही माप के कृत्रिम पैर तैयार किए जा सके। संगठन की ओर से और 150 लोगों को कृत्रिम पैर लगाने के लिए नाप भी लिए गए हैं। कार्यक्रम में फ्रीडम ट्रस्ट की चेन्नई की संचालिका उषा भारद्वाज, मिशन समृद्धि वर्धा के संचालक किशाेर जगताप, नागपुर के मिशन इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग रिसर्च एंड एक्शन के संचालक अभिजीत राऊत उपस्थित थे। दोनों संस्थाओं की ओर से नागपुर के बाद गोंदिया, भंडारा और गढ़चिरोली में शिविर लगाए जाने का कार्यक्रम है। कार्यक्रम के आयोजन में फ्रीडम ट्रस्ट, चेन्नई के स्टीफन अंबरीश और उनके तकनीकी विशेषज्ञ सहयोगी, आईए के अध्यक्ष डॉ. कुश झुनझुनवाला, सचिव डॉ. गिरी, डॉ. आशीष दिसावल, मिशन इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग रिसर्च एंड एक्शन, नागपुर के पंकज खानझोडे, दिनेश मासोदकर, अशोक मुन्ने सहयोग प्रदान किया।
अब तक पांच सौ को लगा चुके हैं कृत्रिम पैर
अभिजीत राऊत के अनुसार दोनों संस्थाओं की ओर से अब तक दस शिविरों में कुल पांच सौ लोगों को नि:शुल्क कृत्रिम पैर लगाए जा चुके हैं। यही नहीं कृत्रिम पैर लगाने वालों से संस्था निरंतर संपर्क में भी रहती है। समय-समय पर कृत्रिम पैर की मरम्मत का काम भी संस्था की निगरानी में किया जाता है।
लोगों की मदद से काम
अभिजीत राऊत के अनुसार संस्था के वाट्सएप ग्रुप की मदद से जरूरतमंद लोगों की खोज की जाती है। फिर पैर बनाने के लिए नाप लेने के लिए उन्हें बुलाया जाता है। पैर बन जाने पर उन्हें फिर पैर फिट करने के लिए शिविर में बुलाया जाता है। उन्होंने बताया कि मुंबई के माहिम स्थित बॉम्बे स्कॉटलैंड स्कूल के बच्चों ने पॉकेट मनी व फंड जमाकर संस्था की मदद की है। बच्चों ने लाखाें रुपए जमाकर संस्था को भेजी है।
पिता-पुत्र दोनों को लगे पैर
शिविर में आए पोलियो के कारण अविकसित पैर वाले पिता और पुत्र दोनों को कृत्रिम पैर लगाए गए। इसके साथ ही 2014 में सड़क दुर्घटना में पैर गंवाने वाले राजेंद्र गायकवाड़ को भी कृत्रिम पैर लगाए गए। राजेंद्र नाश्ते का ठेला लगाते हैं। उनका कहना है कि यह मदद उनके जीवन का नई दिशा दे सकता है।
Created On :   18 April 2019 3:44 PM IST