स्वाइन फ्लू के 100 साल में 4 म्यूटेशन, कोरोना के 16 माह में 5

4 mutations in 100 years of swine flu, 5 in 16 months of corona
स्वाइन फ्लू के 100 साल में 4 म्यूटेशन, कोरोना के 16 माह में 5
स्वाइन फ्लू के 100 साल में 4 म्यूटेशन, कोरोना के 16 माह में 5

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अभी तक देश में जो भी महामारी आई है, उसमें कोविड-19 सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई। खास बात यह है कि इस वायरस ने अन्य बीमारियोंे की तुलना में कम समय में ज्यादा बदलाव किए।  इसके पहले स्वाइन फ्लू के वायरस में 100 साल में 4 म्यूटेशन आए, जबकि कोविड-19 में 16 माह में 5 म्यूटेशन हो गए। यह बदलाव ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि हम एक म्यूटेशन से लड़ने की तैयारी पूरी करते हैं, इसके पहले दूसरा म्यूटेशन आ जाता है। इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि तीसरी लहरे से बचाव की बात को हलके में न लें। हमें दूसरी लहर से सबक लेना चाहिए।  

लापरवाही पड़ सकती है भारी :  शहर में अब तक कोरोना से मौतों का आंकड़ा 10 हजार पार कर गया है। कुल संक्रमितों की संख्या 492804 हो चुकी है। पिछले वर्ष शहर में मार्च में कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी। इसके बाद संक्रमितों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती गई। कोविड-19 के 16 माह में केवल नागपुर में ही  पांच म्यूटेशन मिल चुके हैं। फरवरी 2021 में इंदिरा गांधी चिकित्सा शासकीय महाविद्यालय व अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग से म्यूटेशन की जांच के लिए एनआईवी पुणे सैंपल भेजे गए थे, जिसमें 5 म्यूटेशन का पता चला था। इसमें से 1 डबल म्यूटेंट था। हर म्यूटेशन पहले से ज्यादा खतरनाक साबित हुआ। इसलिए तेजी से एक के बाद एक लहर आ रही है। पहली लहर के बाद लगा अब सब ठीक है दूसरी नहीं आएगी। दूसरी पहले से कई गुना खतरनाक साबित हुई। अब दूसरी लहर के बाद अधिकांश लोग कोरोना की सारी गाइड लाइन को धीरे-धीरे भूल रहे हैं और जमकर लापरवाही की जा रही है। विशेषज्ञों की मानें तो यह लापरवाही भारी पड़ सकती है, क्योंकि दुनिया के कई देशों में तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है।

सतर्कता अभी भी बहुत जरूरी : विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि अगस्त-सितंबर तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। जब तक कोरोना खत्म नही हो जाता या फिर वैक्सीनेशन निश्चित आबादी का नहीं हो जाता तब तक सख्ती बरतनी होगी। कोरोना वायरस का रूप लगातार बदल रहा है। इसके पहले किसी भी इन्फ्लूएंजा वायरस में इतना तेज म्यूटेशन कभी नहीं देखा गया। 1918 से स्वाइन फ्लू वायरस में 4 बार मेजर म्यूटेशन हुए हैं और आखिरी म्यूटेशन 2004 में हुआ था। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चेताया था कि अगर लोगों ने मास्क, डिस्टेंसिंग और सतर्कता के अन्य उपाय छोड़े, तो अगले 6 से 8 हफ्ते में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है।

एंटीबॉडी बनते ही कोरोना अपना रूप बदल रहा है : कोरोना की तीसरी लहर दूसरी से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। एंटीबाॅडी बनती है, ताे वायरस स्प्रेड हाेता हुआ स्ट्रक्चर में बदलाव कर रहा है। असल में जब भी वायरस अपना स्ट्रक्चर यानी रूप बदलता है ताे वैज्ञानिक इसे नया वैरिएंट मानकर एक नया नाम दे देते हैं। यानी जैसे ही इंसानी शरीर में किसी वैरिएंट में लड़ने के लिए एंटीबाॅडी बनती है, ताे वायरस आक्रामक हाेने के लिए स्प्रेड हाेता हुआ स्ट्रक्चर में बदलाव कर लेता है।

अब तक कोरोना के यह वैरिएंट आए  : कोरोना के वैरिएंट में ई48के, ई48क्यू, एन440के, ई484क्यू:एल452आर, एल452आर थे, जिसमें से 1 डबल म्यूटेंट था। म्यटेंट के नाम कठिन होने के कारण उन्हें आमभाषा में अल्फा, डेल्टा, डेल्टा प्लस और लेम्बडा कहा जाता है।

सावधानी ही बचाव का उपाय है : कोविड-19 के म्यूटेशन में जितनी तेजी के साथ बदलाव हो रहा है, इसके पहले आए किसी वायरस में ऐसा नहीं हुआ। हम एक म्यूटेशन पर काबू पाते हैं तो दूसरा आ जाता है। इसलिए तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। इससे बचने का एकमात्र उपाय यह है कि हम कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन करते रहें। इसे हलके में नहीं लें। हमें दूसरी लहर से सबक लेना चाहिए।  - डॉ. अविनाश गावंडे, अधीक्षक, मेडिकल

Created On :   24 July 2021 9:46 AM GMT

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