40 प्रतिशत दृष्टि दोष वाले स्टूडेंट्स को मेडिकल में नहीं मिला एडमिशन, कोर्ट पहुंचा मामला

40 percent vision impairments students did not get medical admission
40 प्रतिशत दृष्टि दोष वाले स्टूडेंट्स को मेडिकल में नहीं मिला एडमिशन, कोर्ट पहुंचा मामला
40 प्रतिशत दृष्टि दोष वाले स्टूडेंट्स को मेडिकल में नहीं मिला एडमिशन, कोर्ट पहुंचा मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दृष्टि दोष के कारण दो स्टूडेंट्स को मेडिकल में प्रवेश देने से इनकार करने के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने नीट एग्जाम के आयोजक सेंट्रल बोर्ड ऑफ एजुकेशन, भारतीय वैद्यक परिषद (एमसीआई), राज्य स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग, सीईटी सेल और केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स के नाम अनवर खान, (बालापुर अकोला) और कादर खान (आर्वी, यवतमाल) है। 

दिव्यांग श्रेणी का आवेदन भरा था

याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स के अनुसार वे इस वर्ष हुई नीट परीक्षा में शामिल हुए थे। दोनों को दृष्टि दोष है। ऐसे में उन्होंने दिव्यांग श्रेणी का आवेदन भरा था। नियम है कि सरकारी और अनुदानित चिकित्सा शिक्षा संस्थानों को अपने यहां 5 प्रतिशत सीटें दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य है। इन 5 प्रतिशत सीटों पर उन स्टूडेंट्स को प्रवेश दिया जाता है, जिनकी दिव्यांगता 40% से कम नहीं है। नीट के नतीजे जारी होने पर अनवर को दिव्यांग श्रेणी में जहां एआईआर 385 मिला, वहीं कादर को 583वां स्थान मिला। इसके बाद उन्हें मेडिकल बोर्ड के सामने उपस्थित होना था। जब वे मेडिकल बोर्ड के सामने गए, तो उनकी जांच हुई। 2 जुलाई को बोर्ड ने उन्हें 40% से अधिक की दिव्यांगता होने का प्रमाणपत्र दिया, मगर प्रवेश के लिए अपात्र करार दे दिया। इसके बाद जारी हुई सूची से उनका नाम भी हटा दिया गया।

यह तर्क दिया गया

इसकी वजह पूछने पर 12 अगस्त को बोर्ड ने जवाब दिया कि मेडिकल प्रवेश के सिलसिले में एमसीआई ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि 40 प्रतिशत से ज्यादा दृष्टि दोष वाले स्टूडेंट्स को मेडिकल में प्रवेश इसलिए न दिया जाए, क्योंकि आगे डॉक्टर बनकर वे मरीजों का ठीक से इलाज नहीं कर पाएंगे। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के सामने तर्क रखा है कि एक ओर तो दिव्यांग श्रेणी के लाभ के लिए सरकार ने 40 प्रतिशत से ज्यादा की दिव्यांगता का नियम बना रखा है, मगर एमसीआई की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश दृष्टि दोष के मामले में ठीक नियमों के विपरीत है। यहां तक की सिफारिशें अभी तक मान्य भी नहीं हुई हैं और अभी से उसके  मद्देनजर उनके प्रवेश के रास्ते बंद कर दिए गए। ऐसे में हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. मोहम्मद अतिक ने पक्ष रखा।  

Created On :   29 Sept 2018 2:31 PM IST

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