- Home
- /
- एक वर्ष में मेलघाट में 47 बाघ कैमरे...
एक वर्ष में मेलघाट में 47 बाघ कैमरे में हुए कैद

डिजिटल डेस्क,अमरावती । पश्चिम विदर्भ के प्रमुख व्याघ्र प्रकल्प मेलघाट का व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र लगभग 2 हजार वर्गमीटर में फैला है। विदर्भ के इस प्रमुख व्याघ्र प्रकल्प में जनवरी 2021 से अब तक 47 बाघ वन विभाग द्वारा लगाए गए कैमरों में ट्रैप हुए। वहीं, विविध कारणों से इस दौरान 14 वन्यप्राणियों की मौत हो चुकी है। इनमें 2 बाघ, 1 तेंदुआ, 5 भालू समेत 14 वन्यप्राणियों का समावेश है। विशेषकर हाल ही में मेलघाट के रायपुर सेक्टर में संदिग्ध स्थिति में एक बाघ भी मृत पाया गया था। वहीं मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत वान व नरनाला क्षेत्र में मात्र बाघों के शावकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। किंतु शावक जब तक बड़े नहीं होते उनकी व्याघ्र गणना में गिनती न किए जाने के कारण फिलहाल कितने शावक बढ़े हैं, इसकी अधिकृत जानकारी नहीं मिल पाई।
जानकारी के अनुसार उत्तर से तापी नदी को लगकर मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की शुरुआत होती है। गूगामल राष्ट्रीय उद्यान, हरिसाल, कोलखास से लेकर तो उत्तर में वान, नरनाला तक लगभग 2 हजार चौरस मीटर में मेलघाट का संरक्षित व्याघ्र प्रकल्प फैला हुआ है। इसमें लगाए गए ट्रैप कैमरे में वर्ष 2021 से अब तक 47 बाघ दर्ज किए गए हैं। एक ओर जहां मेलघाट के एक हिस्से में बाघ समेत वन्यप्राणियों की मृत्यु हो रही है, वहीं आकोट तहसील से सटकर रहनेवाले वान व नरनाला में मात्र बाघों के शावकों की संख्या बढ़ रही है। किंतु व्याघ्र गणना में शावकों की संख्या दर्ज नहीं किए जाने से वर्तमान में मेलघाट में शावकों के सटीक आंकड़े नहीं मिल पाए हैं।
बहेलियों के गिरोह की दहशत : मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के उत्तर में रायपुर व्याघ्र संरक्षित क्षेत्र में माडीझड़प गांव है। इस गांव के पास रहनेवाले कृत्रिम वन तालाब के आसपास अनेक वन्यप्राणियों की मृत्यु अब तक हुई है। पिछले 8 जून को माडीझड़प गांव के पास बाघ मृत पाया गया था। इस क्षेत्र में पहले से ही बहेलिया गिरोह सक्रिय रहा है। रायपुर से कुछ ही दूरी पर मध्यप्रदेश का कटनी गांव आता है और बहेलिया गिरोह कटनी से ही मेलघाट में बाघों की शिकार की गतिविधियां अब तक चलाते रहा है। इस कारण रायपुर इस संरक्षित व्याघ्र क्षेत्र में अभी भी बहेलिया गिरोह का भय कायम है।
Created On :   17 Jun 2022 2:22 PM IST