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महाराष्ट्र : औलाद होने के बाद भी 5.7 % सीनियर सिटीजन अकेलेपन में जीने को मजबूर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रथम पूज्य की आराधना में पूरा देश लगा हुआ है। माता-पिता की सात बार प्रदक्षिणा कर श्रीगणेश ने अपनी बुद्धि-विशालता का परिचय देते हुए प्रथम पूज्य का दर्जा हासिल किया था। मगर आज के दौर में ठीक इसके उलट हो रहा है और यही कारण है कि औलाद होने के बाद भी प्रदेश के शहरों में 5.7 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक अकेले हैं। सिर्फ नागपुर पुलिस विभाग के अनुसार, यहां पर 5522 वरिष्ठ नागरिक रजिस्टर्ड हैं। इसमें महिलाओं की संख्या करीब 1500 हैं।
तीन साल से रिकार्ड अपडे़ट नहीं
गलती प्रशासन की ओर से भी हो रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, तीन साल से पुलिस थानों में बुजुर्गों के रिकार्ड काे ही अपडेट नहीं किया गया है। नागपुर पुलिस के रिकार्ड में 5522 पर ही संख्या अटकी हुई है। कई वरिष्ठ नागरिकों के पास पुलिस द्वारा बनाया जाने वाला वरिष्ठ नागरिक का कार्ड नहीं मिल पाया है। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जो नागरिक उनके पास जाते हैं, पुलिस उनका रिकार्ड बनाकर उन्हें कार्ड देती है। यह रिकार्ड भी थाने में जाने वाले वरिष्ठ नागरिकों के आधार पर तैयार किया जाता है। एसएमएस या वाटसएप का सहारा लिया जाता है।
महाराष्ट्र में अत्याचार का प्रमाण 22प्र.श.
वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कई योजनाएं की जा रही हैं। नागपुर में गत वर्ष 121 मामले पुलिस ने दर्ज किया, जो वरिष्ठ नागरिकों पर हुए अत्याचारों से जुड़े थे। नेशनल क्राइम ब्यूरो के अनुसार, दो वर्ष पहले देश में बुजुर्ग नागरिकों पर हुए अत्याचार के 21 हजार 410 प्रकरण दर्ज हुए। बुजुर्गों पर होने वाले अत्याचार से सबंधित कुल दर्ज होने वाले में महाराष्ट्र में इसका प्रमाण 22 प्रतिशत है। गत दो वर्ष राज्य में 1500 हजार से अधिक बुजुर्गों के साथ धोखाधड़ी किए जाने के मामले सामने आए हैं। महाराष्ट्र में 180 से अधिक बुजुर्गों की हत्या की गई। वरिष्ठ नागरिकों के साथ लूटपाट के मामले में महाराष्ट्र में 421 मामले सामने आए हैं।
मेहनतकश भी हैं सीनियर सिटीजन
राज्य में 60 व 80 वर्ष के मेहनतकश वरिष्ठ नागरिक क्रमश: 31. 3 व 5.10 प्रतिशत है। एक पुलिस कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि थानों में वरिष्ठ नागरिकों का रिकार्ड अपडेट करने के लिए समय नहीं है।
महाराष्ट्र मेें 62.8 प्रतिशत है बुजुर्गों का प्रमाण
यूनिसेफ के एक सर्वे में कहा गया है कि देश में बुर्जुगों की संख्या का प्रमाण 10 प्रतिशत है। आगामी 30 वर्षों में यह करीब 20 प्रतिशत हो जाएगा। देश में 5 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक अकेलेपन में जी रहे हैं। महाराष्ट्र में यह प्रमाण 5.7 प्रतिशत है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में वरिष्ठ नागरिकों का प्रमाण 71 प्रतिशत है। इसमें सर्वाधिक प्रमाण बिहार में है। महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्र 62.8 प्रतिशत है। करीब 18 प्रतिशत पुरुषों और 6 प्रतिशत वरिष्ठ महिलाओं को वेतन पेंशन के रूप में मिलता है, जिससे उनकी जिंदगी का गुजर बसर हो रहा है। देश में 4.5 प्रतिशत लोग याददाश्त खोने के शिकार हो चुके हैं।
अपने बुजुर्ग माता-पिता को लाचारी में छोड़ने वाले बच्चों को मिलने वाली जेल की सजा 3 महीने से बढ़ाकर 6 महीने हो सकती है।
पुलिस के रिकार्ड में जो लोग हैं, उन्हें कार्ड दिया गया है
पुलिस के पास जो भी आते हैं, उन्हें पहचान पत्र तो दिया जाता है, जिनके पास नहीं है। उन्हें भी जानकारी मिलने पर दिया जाएगा। थाना स्तर पर वरिष्ठ नागरिकों का रिकार्ड तैयार कराया जाता है। अगर कfसी को पहचान पत्र नहीं मिल पाया है तो वह पुलिस से संपर्क कर जानकारी दे सकते हैं। उन्हें भी उपलब्ध हो जाएगा, वैसे पुलिस के रिकार्ड में जो लोग हैं, उन्हें तो कार्ड दिया गया है। शायद नए लोगों को नहीं मिल पाया होगा।
-श्वेता खेडकर, उपायुक्त, आर्थिक अपराध शाखा पुलिस विभाग नागपुर
Created On :   17 Sept 2018 2:22 PM IST