महाराष्ट्र के मैंग्रोव वन क्षेत्र में 63.44 फीसदी की वृद्धि  

महाराष्ट्र के मैंग्रोव वन क्षेत्र में 63.44 फीसदी की वृद्धि  
महाराष्ट्र के मैंग्रोव वन क्षेत्र में 63.44 फीसदी की वृद्धि  

डिजिटल डेस्क,मुंबई । मैंग्रोव संवर्धन के मामले में महाराष्ट्र देश में पहले क्रमांक पर है। सागरी जैव विविधता संवर्धन नियामक मंडल की बैठक में इसके लिए संबंधित अधिकारियों का अभिनंदन किया गया। इस दौरान विभिन्न प्रस्तावों को मान्यता दी गई।

देश में पहले क्रमांक पर  महाराष्ट्र
शनिवार को वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की मौजूदगी में हुई बैठक में बताया गया कि भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में मैंग्राव क्षेत्र 222 वर्ग किलोमीटर से बढ़ कर 304 वर्ग किलोमीटर हो गया है। इसमें 2017 के दौरान 82 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने मैंग्रोव की देखरेख के लिए अलग कक्ष की स्थापना की है। राज्य में 17 हजार हेक्टेयर मैग्रोव क्षेत्र सरकारी जमीनों और 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र निजी जमीनों पर है। 2013-2015 में महाराष्ट्र में केवल 36 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मैग्रोव की झाड़ियां थी। अबतक इसमें 118 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। यह बढ़ोतरी 63.44 फीसदी है। 2018 के दौरान मुंबई, नई मुंबई व ठाणे महानगरपालिका क्षेत्र में 20 लाख और 2019 में 40 लाख मैंग्रोव पौधा रोपण का लक्ष्य रखा गया है।   

सहनशील होती है मेंग्रोव प्रजातियां
उल्लेखनीय है कि मैंग्रोव प्रजातियां बहुत सहनशील होती हैं और प्रतिदिन दो बार खारे पानी के बहाव को झेलने के लिये ऐसा होना आवश्यक भी है। उन्हें ऐसी भूमि में जीवित रहना हो ता है जो अस्थिर होती है तथा जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। इसके अतिरिक्त उन्हें वर्षा ऋतु में उफनती नदियों तथा समुद्री तूफानों को भी सहन करना होता है। मैंग्रोव वनस्पति की इन विशेषताओं के अध्ययन से हमें उनकी विपरीत परिस्थितियों में जीवित रहने के उनके विशिष्ट तरीकों की जानकारी मिलती है। ।  वर्गीकरण के बाद भी कभी-कभी मैंग्रोव पौधे को सही-सही परिभाषित करना कठिन हो जाता है।  मैंग्रोव वनों में पाये जाने वाले पौधे वर्गीकरण के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। परन्तु इन सभी में अनुकूलन की कुछ समान विशेषताएं पायी जाती हैं। इन क्षेत्रों में मैंग्रोव वनस्पति के अलावा दूसरे पौधे तथा जीव जन्तु भी पाये जाते हैं।  

Created On :   17 March 2018 6:48 PM IST

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