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नागपुर के कोषागार कार्यालय में 635 करोड़ का हुआ भुगतान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संक्रमण के कारण कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य होने के बावजूद कोषागार कार्यालय में कामकाज की रफ्तार नहीं थमी। 31 मार्च ईयर एंडिंग होने के कारण विभिन्न विभागों के बिलों का भुगतान होता रहा। करीब 3969 लंबित बिलों का निपटारा किया गया। इन बिलों में करीब 635 करोड़ 70 लाख 16 हजार 463 रुपए का भुगतान किया गया है। भुगतान पाने वाले विभागों में जिला नियोजन कार्यालय के 200 करोड़ और जिप के 200 करोड़ की राशि का समावेश है, जबकि अन्य विभागों में शिक्षा विभाग, आयुक्त कार्यालय, जिलाधिकारी कार्यालय समेत अन्य विभाग शामिल हैं। मार्च के अंतिम सप्ताह में इस विभाग के करीब 16 अधिकारी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इतना ही नहीं उप लेखापाल श्यामराव तुमगर की मौत भी हो गई है। अधिकारियों ने इस 31 मार्च को बेहद चुनौतीपूर्ण माना है।
शहर में 100 करोड़ का भुगतान
कोषागार कार्यालय में पिछले कई सालों की तुलना में लंबित बिलों में कमी पाई गई है। दो साल पहले तक 31 मार्च को करीब 500 करोड़ तक भुगतान के लिए 1800 बिल आते थे, लेकिन पिछले साल लॉकडाउन के चलते यह आंकड़ा सिमटकर 350 करोड़ के लिए 1200 बिलों तक पहुंच गया था। इस साल संख्या और कम हो गई। इस साल महज 100 करोड़ भुगतान के लिए 182 बिल ही मिले हैं। इसके पीछे इंटरनेट की तकनीकी समस्या के अलावा कोरोना संक्रमण को भी अधिकारी जिम्मेदार मान रहे हैं।
एक अधिकारी की हो चुकी है मौत
कोषागार कार्यालय में 5 शाखाओं में कामकाज होता है। इनमें लेखा परीक्षण, आस्थापना, संकलन एवं संगणक, निवृत्ति वेतन शाखा और भूमि अधिग्रहण संबंधित विभाग शामिल हैं। वर्तमान में 174 अधिकारी और कर्मचारी की जगह 137 अधिकारी, कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। इनमें से पिछले सप्ताह भर में निवृत्ति वेतन और भूमि अधिग्रहण संबंधित विभाग में 16 कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गए। 1 अधिकारी की मौत हो गई।
ऐसे करते हैं भुगतान
संबंधित विभाग से रकम के भुगतान का कोषागार कार्यालय को प्रस्ताव भेजा जाता है। काेषागार अधिकारी की ओर से बिल प्रस्ताव की जांच कर वाउचर बनाए जाते हैं। वाउचर की सहायता से भुगतान के लिए रिजर्व बैंक को ईएफटी (इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर) सूची को भेजा जाता है। ईएफटी सूची मिलने के बाद आरबीआई से दो घंटे के भीतर संबंधित विभाग को ऑनलाइन फंड ट्रांसफर कर दिया जाता है। सामान्य दिनों के मुकाबले 31 मार्च को दिन भर में 4 बार ईएफटी को भेजा गया। अंतिम ईएफटी भेजने के बाद सारे लंबित बिलों का चेक द्वारा भुगतान किया गया।
चुनौती पूर्ण रहा 31 मार्च
इस बार कई अधिकारियों के कोरोना संक्रमित होने के बाद अतिरिक्त काम का बोझ सहन करना पड़ा है। नागरिकों की आवाजाही को रोकने के लिए प्रशासन के कड़े निर्देश भी पालन करने की अनिवार्यता है। आला अधिकारियों ने अतिरिक्त संसाधन के रूप में सहायता दी है, लेकिन यह 31 मार्च बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। -गजानन हिरूलकर, वरिष्ठ कोषागार अधिकारी
Created On :   1 April 2021 9:22 AM GMT