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70 वर्षीय विचाराधीन कैदी को दी गई जमानत रद्द

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया है कि कोरोना काल में विचाराधीन कैदियों को रिहा करने की प्रदेश हाईपॉवर समिति की सिफारिशें कोर्ट से ऊपर नहीं हैं। कैदी को रिहा करना है या नहीं यह कोर्ट को तय करने का अधिकार है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने अचलपुर के 70 वर्षीय खुतुबुद्दीन हसीरुद्दीन की अंतरिम जमानत रद्द कर दी। दरअसल, खुतुबुद्दीन व उसके 3 साथियों पर हत्या का आरोप है। अचलपुर थाने में आरोपियों के खिलाफ भादवि 302, 307 व 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। 23 जुलाई 2019 को खुतुबुद्दीन को गिरफ्तार किया गया था। तब सत्र न्यायालय ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।
हाईकोर्ट के राहत देने से इनकार करने पर उसने जमानत याचिका वापस ले ली थी। फिर देश में कोरोना संक्रमण काल शुरू हुआ। इस दौरान कई समीकरण बदले। सर्वोच्च अदालत की सिफारिश पर राज्य स्तर पर हाई पावर समितियां गठित की गईं। प्रदेश हाईपावर समिति ने सिफारिश की थी कि देश में ऐसे विचाराधीन कैदी, जिनपर लगे आरोपों में 7 वर्ष से अधिक की सजा न हो, उन्हें रिहा किया जा सकता है। इस आधार पर अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 27 मई 2020 को खुतुबुद्दीन को 45 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया। बाद में यह समयावधि बढ़ाई गई। फरियादी ने इस पर आपत्ति लेते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है। मामले में आरोपी की ओर से एड.परवेज मिर्जा ने पक्ष रखा।
Created On :   10 Feb 2021 1:24 PM IST