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मंजूरी के बाद भी नहीं बने 80 हजार आशियाने, कैसे मिलेगा 2022 तक सबको घर ?

लिमेश कुमार जंगम, नागपुर। मकान बनाना उन लोगों के लिए इतना आसान नहीं होता, जो अपनी मूलभूत जरूरतों को भी पूर्ण नहीं कर पाते। संपूर्ण जीवन बीत जाता है, लेकिन उनके सपने की पूर्ति नहीं हो पाती। ऐसे लोगों के लिए केंद्र सरकार ने घरकुल देने की योजना बनाई। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब तबके के लोगों को घर देने के उद्देश्य से सरकार ने 9 राज्यों के 305 शहरों व कस्बों का चयन किया। 25 जून 2015 को इस योजना का शुभारंभ किया गया। वर्ष 2022 तक सभी को घर देने का उद्देश्य लेकर प्रशासन को लक्ष्य दिया गया। पूर्व विदर्भ के 6 जिलों में ग्रामीणों के लिए बीते वर्षों में कुल 182433 घरकुल मंजूर किए गए। इनमें से 103820 मकानों का निर्माण किया जा चुका है। परंतु आज भी 78613 आशियाने नहीं बन पाए हैं।
लक्ष्य की तुलना में केवल 56.90 प्रतिशत ही कार्य पूर्ण हो पाया है, जिसके चलते वर्ष 2022 तक सबको घर मिलने का सपना पूर्ण होने की उम्मीद धूमिल दिखाई पड़ रही है। निर्माण कार्य की धीमी रफ्तार को लेकर प्रशासन एवं सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
गरीबों, पिछड़ों, आदिम व घुमक्कड़ समुदायों को निवास स्थान दिलाने के लिए सरकार की ओर से विविध योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, रमाई आवास योजना, शबरी आवास योजना, पारधी आवास योजना, आदिम जमाति योजना का समावेश हैं। पूर्व विदर्भ के नागपुर, चंद्रपुर, वर्धा, गोंदिया, भंडारा व गड़चिरोली इन 6 जिलों में इन योजनाओं के लिए सरकार की ओर से करोड़ों की राशि आवंटित की गई है। अब तक अनेक परिवारों को इन योजनाओं का लाभ मिल चुका हैं। अनेक परिवार ऐसे हैं जो आज भी इस योजना की पूर्ति का इंतजार कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना का उद्देश्य वर्ष 2022 तक सभी को घर उपलब्ध कराना है। 7 वर्ष के लिए लागू की गई यह योजना शहर के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी लागू है। इस योजना में 70 वर्ष का बुजुर्ग भी आवेदन कर सकता है। इकोनॉमिक वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएस) की आय मर्यादा 3 लाख रुपए से कम तथा लो इंकम ग्रुप (एलआईजी) की आय मर्यादा 6 लाख रुपए से कम निर्धारित की गई हैं। वहीं इस योजना में शामिल मकान खरीदने वाले गरीबों को 9 लाख रुपए के ऋण पर 4 प्रतिशत की छूट एवं 12 लाख रुपए के लोन पर 3 प्रतिशत की छूट दी जाती है।
नीतियों में सुधार, जागृति का अभाव : राज्य सरकार ने आवास योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए अपनी नीतियों में अनेक बदलाव किए हैं, लेकिन इसका प्रचार व प्रसार आम जनता तक नहीं हो पाया है। यही वजह है कि सरकार की मौजूदा नीतियों को प्रतिसाद कम मिल रहा है। राज्य सरकार ने फरवरी 2018 में एक फैसला लेकर ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी भूमि पर किए गए निवासी अतिक्रमण को नियमित करने के आदेश दिए हैं।
आवास संबंधित लाभार्थियों के चयन के लिए सामाजिक, आर्थिक व जाति सर्वेक्षण 2011 का आधार लेने, ग्राम सभाओं के माध्यम से प्रतीक्षा सूची तैयार करने, राज्य स्तरीय गृह निर्माण योजना के प्रतीक्षा सूची से बाहर के लाभार्थियों को पात्र बनाने की योजना है। उल्लेखनीय है कि जिन गरीबों के पास घरकुल के लिए जगह उपलब्ध नहीं है, वे पंडित दीनदयाल उपाध्याय घरकुल जगह खरीदी योजना राज्य सरकार चला रही है। इसमें बेघरों को 50 हजार रुपए जगह खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
इंदिरा आवास योजना के नाम पर वर्ष 2010 में मंजूर किए गए आशियानों में से 13000 से अधिक का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है। 8 वर्ष पूर्व के लक्ष्य की पूर्ति करने में यदि प्रशासन की रफ्तार इतनी धीमी रहेगी तो मौजूदा सरकार का ‘2022 तक सबको घर’ का लक्ष्य कैसे पूर्ण किया जा सकेगा? प्रशासन की लालफीताशाही में उलझे गरीबों के निवास स्थानों के निर्माण में होने वाली देरी को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि गंभीर नजर नहीं आते। ऐसे में सरकार की इस कल्याणकारी योजना को ग्रहण लगने के आसार नजर आने लगे हैं।
पूर्व विदर्भ : 6 जिलों में घरकुलों की स्थिति
योजना मंजूर पूर्ण अपूर्ण
इंदिरा आवास योजना 91168 77787 13381
प्रधानमंत्री आवास योजना 68542 20804 47738
रमाई आवास योजना 16896 3467 13429
शबरी आवास योजना 4980 1703 3277
पारधी आवास योजना 48 2 46
आदिम जमाति योजना 799 57 742
कुल घरकुल 182433 103820 78613
Created On :   29 May 2018 3:24 PM IST