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66 साल के इकलौते बेटे के साथ नहीं रहना चाहती 84 साल की मां

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अपने बेटे के उत्पीड़न से परेशान 84 साल की बुजुर्ग मां नहीं चाहती है कि उसका 66 साल का इकलौता बेटा उसके साथ रहे। इसके मद्देनजर बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि बेटा सिविल कोर्ट से उसे घर खाली करने को लेकर दिए गए आदेश पर स्टे (रोक) लेने में विफल होता है तो वह तुरंत घर को खाली कर दे। बुजुर्गों से जुड़े मामले के देखने के लिए ‘मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट एवं सिनियर सिटीजन’ अधिनियम के तहत बनाए गए सक्षम प्राधिकरण ने बेटे को घर खाली करने का निर्देश दिया है। जिसके खिलाफ बेटे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में बेटे ने कहा है कि वह भी वरिष्ठ नागरिक है। ऐसे में उसे घर से निकाला जाना उचित नहीं है। उसने सिविल कोर्ट में सक्षम प्राधिकरण के आदेश को चुनौती दी है। फिर भी पुलिस उसे घर से निकालने को लेकर सक्षम प्राधिकरण की ओर से दिए गए आदेश को लागू करा रही है। याचिका में बेटे ने मां के आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि फ्लैट में उसका भी हक है।
अवकाशकालीन न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव के सामने बेटे की याचिका पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि पति के निधन के बाद बुजुर्ग महिला जुहू इलाके में स्थित प्लैट की मालिक है। उसकी चार में से दो अविवाहित बेटियां उसकी देखरेख कर रही हैं। वह नहीं चाहती है कि उसका बेटा उसके साथ रहे। क्योंकि वह उसे परेशान करता है। बुजुर्ग मां ने न्यायमूर्ति के सामने भावुक स्वर में बेटे के उत्पीड़न बारे में बताया। बुजुर्ग महिला ने कहा कि बेटे को घर खाली करने को लेकर दिया गया आदेश लागू न करने से उसके हित प्रभावित होंगे।
दो पुलिसकर्मी बुजुर्ग महिला की कुशलता की लें जानकारी-कोर्ट
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि आम तौर पर हम ऐसे मामले में सक्षम प्राधिकरण के आदेश पर अंतरिम रोक लगा देते हैं लेकिन यह मामला भिन्न है। इसलिए जुहु पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को निर्देश दिया जाता है कि वह एक महिला पुलिस इंस्पेक्टर व महिला कांस्टेबल को सप्ताह में दो दिन बजुर्ग महिला की कुशलता जानने के लिए भेजे। यदि बुजुर्ग महिला इस अवधि के दौरान बेटे की ओर से प्रताड़ित करने को लेकर शिकायत करती है तो बेटे को घर खाली करने से जुड़े आदेश को तत्काल लागू किया जाए। न्यायमूर्ति ने अब इस मामले की सुनवाई 6 जून 2022 को रखी है लेकिन यदि इस दौरान बेटा अदालत से घर खाली करने को लेकर दिए गए आदेश पर स्टे पाने में विफल होता है तो वह तुरंत घर को खाली कर दे। बेटा इस आदेश को घर में रहने के लाइसेंस के तौर पर न देखे।
Created On :   24 May 2022 7:14 PM IST