यूनिवर्सिटी से गुम हो गए 9 करोड़ , एडवांस के 21.68 करोड़ का हिसाब ही नहीं

9 crores lost from nagpur university,advance money has no report
यूनिवर्सिटी से गुम हो गए 9 करोड़ , एडवांस के 21.68 करोड़ का हिसाब ही नहीं
यूनिवर्सिटी से गुम हो गए 9 करोड़ , एडवांस के 21.68 करोड़ का हिसाब ही नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  साढ़े तीन सौ करोड़ रुपए से अधिक के कामकाज वाले राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में आर्थिक मामलों से जुड़ी कई अनियमितताएं सामने आ रही हैं। कहीं चोरी, तो कहीं बेहिसाबी, तो कहीं बैंक अकाउंट के गलत चयन के मामले सामने आ रहे हैं। नागपुर विश्वविद्यालय की ऑडिट रिपोर्ट में यह निकल कर आया है कि 31 मार्च 2018 तक नागपुर यूनिवर्सिटी ने परीक्षा के कामकाज के लिए संबंधित स्पॉट सेंटर प्रमुखों व केंद्रों को जो एडवांस पेमेंट जारी किया, उसमें से 21 करोड़ 68 लाख 51 हजार 95 रुपए का कोई एडजसमेंट नहीं किया गया है। 

‘दैनिक भास्कर’ ने परीक्षा भवन से पैसे गायब होने का मामला प्रमुखता से सामने लाया था। इसके बाद पैसे ब्याज पर देने से लेकर बेहिसाबी एडवांस पेमेंट पर भी समाचार प्रकाशित किया गया था। बता दें कि परीक्षा भवन का कर्मचारी पैसे निकाल कर उसका निजी उपयोग कर रहा था। इस मुद्दे पर विवि ने विभागीय जांच की थी। इसपर प्रस्तुत रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि पैसे चोरी नहीं हुए, बल्कि कर्मचारी ने गलती से दूसरी अलमारी में रख दिए थे। लेकिन इस पर कई सीनेट सदस्यों ने आपत्ति दर्शाई है। आरोपी कर्मचारी कई वर्षों से पैसों के प्रबंधन का काम कर रहा था। ऐसे में वह विवि की एक बड़ी रकम दूसरी अलमारी में क्यों रखेगा और फिर जब शिक्षक अपने मूल्यांकन का मानदेय मांग रहे थे, तो उन्हें पैसे न होने की जानकारी क्यों दी गई, इस पर यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट संदेह के घेरे में है। 

समिति गठित करनी पड़ी
एड.मनमोहन बाजपेयी ने बैठक में मुद्दा उठाया कि  यूनिवर्सिटी ने करंट अकाउंट 33 करोड़ 88 लाख 32 हजार 879 रुपए है। इसका कोई ब्याज यूनिवर्सिटी को नहीं मिल रहा है। इस रकम को फिक्स या सेविंग अकाउंट में डालने पर यूनिवर्सिटी को लाखों रुपए का ब्याज मिल सकता है। इन आर्थिक मुद्दों पर नियंत्रण के लिए यूनिवर्सिटी ने बाजपेयी और अन्य सीनेट सदस्यों की एक समिति गठित की है। 

सेटलमेंट नहीं किया 
दरअसल, यूनिवर्सिटी परीक्षा के कामकाज के लिए यह एडवांस पेमेंट जारी करता है। परीक्षा होने के बाद संबंधितों को पूरा हिसाब किताब यूनिवर्सिटी को देना पड़ता है। इसके बाद रकम कम या ज्यादा होने पर इसे एडजेस्ट किया जाता है, लेकिन ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि विवि ने लंबे समय से इसका सेटलमेंट नहीं किया है। संबंधित वर्ष में केवल 40 करोड़ 25 लाख 84 हजार 619 रुपए का हिसाब मेल खा रहा है। इसके पिछले वर्ष जारी किए गए 9 करोड़ 50 लाख 58 हजार 698 रुपए का भी यूनिवर्सिटी के पास कोई हिसाब नहीं है। उस रकम को रिकवर नहीं किया जा सकता। 

Created On :   15 March 2019 6:25 AM GMT

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