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सरकार से मिले 900 करोड़ फिर भी मनपा की तिजोरी खाली
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में विरोधी दल की सरकार होने के बावजूद नागपुर महानगरपालिका पर मेहरबान दिखी। महाविकास आघाडी सरकार ने भाजपा शासित मनपा की जीएसटी अनुदान बढ़ाने समेत पिछले दिनों करीब 900 करोड़ रुपए मनपा की तिजोरी में डाले हैं। उम्मीद की जा रही थी कि अनेक आर्थिक प्रश्नों का समाधान होगा। मनपा कर्मचारियों द्वारा की जा रही दिवाली से पहले 10 हजार रुपए की मांग और ठेकेदारों को बकाया भुगतान किया जाएगा, लेकिन दोनों मोर्चों पर असफलता हाथ लगी। न कर्मचारियों को अतिरिक्त भुगतान हुआ और न ठेकेदारों को बकाया मिला। बकाया भुगतान की बात तो दूर, नए काम भी शुरू नहीं किए गए। ऐसे में सरकार से मिले 900 करोड़ रुपए कहां गए, इसका भी कोई जवाब नहीं मिल पाया। मनपा के वित्तीय अधिकारी से पूछने पर वे दिवाली में व्यस्तता का बहाना कर जवाब देने से बचते दिखे।
हाथ मल रहे मनपा कर्मचारी
नागपुर महानगरपालिका मागासवर्गीय कर्मचारी संगठन के पूर्व प्रमुख कार्यवाह शेखर कड़बे ने कहा कि राज्य की सभी महानगरपालिका अपने कर्मचारियों को दिवाली के मौके पर अतिरिक्त रकम दे रही है। ऐसे में नागपुर प्रशासन से दिवाली से पहले मनपा कर्मचारी व सेवानिवृत्त कर्मचारियों को त्वरित
10 हजार रुपए देने की मांग की गई थी। सरकार से मिले 900 करोड़ रुपए खर्च तो नहीं हो गए? ऐसे में मनपा कर्मचारी क्या करें।
कोई एरियर्स हाथ नहीं लगा
मनपा कर्मचारियों को छठवें वेतन आयोग के सिफारिशों के अनुसार 59 महीने का एरियर्स अब तक नहीं मिला। डीए का भी 65 महीने का एरियर्स बकाया है। सातवां वेतन आयोग लागू करने को लेकर भी प्रशासन गंभीर नहीं है। आयुक्त ने आश्वस्त किया था कि दिवाली से पहले डीए का एरियर्स दिया जाएगा, लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा।
अधिकारी बदले, हालात नहीं
यही स्थिति अब मनपा ठेकेदारों की भी है। पिछली नवंबर से लेकर इस नवंबर तक लगभग एक साल का बकाया बिल मनपा पर है। तुकाराम मुंढे ने आर्थिक स्थिति खराब बताकर अनेक कामों को रोक दिया था। ऐसे में ठेकेदारों के बिल भी रुक गए थे। लॉकडाउन के कारण अनेक लोगों के काम बंद होने से ठेकेदारों की भी स्थिति खराब हुई। इस बीच मनपा आयुक्त और मुख्य लेखा व वित्त अधिकारी दोनों बदले, लेकिन ठेकेदारों के हालात जस के तस है। कुछ दिन पहले मनपा आयुक्त ने ठेकेदारों को आश्वासन दिया था कि दिवाली से पहले सभी को 5 लाख तक भुगतान किए जाएंगे। जब ठेकेदार अपना बकाया लेने गए तो पता चला कि जिनका 5 लाख से कम बकाया है, सिर्फ उन्हें ही भुगतान किया जा रहा है। इस कारण ठेकेदार भी नाराज हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि आखिर सरकार से मिला 900 करोड़ रुपए की अनुदान राशि आखिर कहां गई। न किसी को भुगतान किया और न किसी काम पर खर्च।
Created On :   16 Nov 2020 7:32 AM GMT