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हाईकोर्ट के एक जस्टिस ने भुजबल की जमानत अर्जी पर सुनवाई से किया इंकार, एससी का केंद्र को नोटिस

डिजिटल डेस्क, मुंबई/दिल्ली। बांबे हाईकोर्ट के एक जस्टिस ने महाराषट्र सदन घोटाले व मनी लाॉन्डरिंग के कथित आरोपों के तहत जेल में बंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता व राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल के जमानत आवेदन पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। सोमवार को जस्टिस रेवती ढेरे के सामने भुजबल की जमानत अर्जी सुनवाई के लिए आयी। लेकिन जस्टिस ढेरे ने सुनवाई से इंकार कर दिया। अब भुजबल की जमानत अर्जी पर अन्य न्यायाधीश के सामने सुनवाई होगी।
भुजबल की जमानत अर्जी पर सुनवाई से किया इंकार
जमानत अर्जी में भुजबल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेशन आफ मनी लांडरिंग कानून की धारा 45 को असंवैधानिक ठहरा दिया है। इसलिए वे जमानत के हकदार है। उन्होंने कहा है कि उनका स्वास्थय ठीक नहीं है। इसलिए उन्हें जमानत प्रदान की जाए। भूजबल ने जमानत अर्जी में कहा है कि उनकी इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने भुजबल को 14 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया था। तब से भुजबल जेल में है। इससे पहले भुजबल ने पीएमएलए कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था। इसलिए अब भुजबल ने हाईकोर्ट में जमानत आवेदन दायर किया है।
बीमारी से अस्पताल हुए थे भर्ती
इससे पहले घोटाले के आरोप में जेल में बंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता छगन भुजबल की तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आर्थर रोड जेल में बंद भुजबल ने पेट दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की थी। जिसके बाद उन्हें जेजे अस्पताल ले जाया गया था। शुरूआत में भुजबल को आईसीयू में भर्ती कराया गया था। लेकिन सेहत में सुधार के बाद कार्डिएक केयर यूनिट (सीसीयू) में भेज दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का भुजबल की याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस
उधर दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के एनसीपी नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल की मनी लॉन्ड्रिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। भुजबल के खिलाफ महाराष्ट्र सदन घोटाला और कलिना भूमि समझौते में भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है। एनसीपी नेता छगन भुजबल और उनके भतीजे पूर्व सांसद समीर भुजबल को 14 मार्च 2016 को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। जिसमें ईडी ने उन पर रिश्वत प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था। गौरतलब है कि भुजबल ने धनशोधन अधिनियम के तहत की ईडी द्वारा की गई गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के बाद भुजबल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। भुजबल पर न केवल नई दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण के लिए दिए गए अनुबंधों में कथित भ्रष्टाचार की जांच की जा रही है, बल्कि सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) के मंत्री रहने के दौरान उनके कार्यकाल में विभिन्न परियोजनाओं में हुई गडबड़ी के मामले की भी जांच चल रही है।
Created On :   26 March 2018 9:13 PM IST