बिन मां के बेटे के लिए दूध लेने गया पिता वापस नहीं आया, पोषण पुनर्वास केंद्र में हो रहा पालन

A father escaped from his newborn baby, Nutrition Rehabilitation Center adopted
बिन मां के बेटे के लिए दूध लेने गया पिता वापस नहीं आया, पोषण पुनर्वास केंद्र में हो रहा पालन
बिन मां के बेटे के लिए दूध लेने गया पिता वापस नहीं आया, पोषण पुनर्वास केंद्र में हो रहा पालन

डिजिटल डेस्क मंडला। मोहगांव थाना क्षेत्र के ग्राम सालीवाड़ा में एक माह मासूम को दूध लेकर आने का बहाना बनाकर पिता भाग गया। इसके बाद बूढ़ी दादी ने मासूम को पेज और पाऊडर का दूध पिला कर पाला है। अब पांच माह का बच्चा पोषण आहार की कमी के कारण कुपोषित हो गया है। अब पोषण पुर्नवास केंद्र मंडला में उपचार चल रहा है।
जानकारी के मुताबिक रामेश्वर बैगा निवासी सालीवाड़ा की तीन बेटियां होने के कारण उसने ग्राम किंद्री में दूसरा विवाह कर लिया और मां पिता और पत्नी को छोड़कर वही रहने लगा। रामेश्वर की दूसरी पत्नी ने बेटे को जन्म दिया लेकिन एक माह बाद पत्नी की मौत हो गई। मासूम बिन मां का हो गया। रामेश्वर बैगा किंद्री से लौटकर बच्चे को लेकर अपने घर सालीवाड़ा आया। यहां अपनी मां लमिया बाई को मासूम बच्चे को गोद देकर दूध लेकर आने का बहाना बनाकर गायब हो गया। इसके बाद दोबारा वापस नहीं आया। लमिया बाई ने बताया है कि कई जगह रामेश्वर का पता किया गया लेकिन जानकारी नहीं लगी। करीबी और सुविधाओं के अभाव में मासूम केा पालना बूढ़ी दादी के लिए किसी चुनौती से कम नही। पेज औैर दूध पाऊडर पिलाकर मासूम गुड्डू का पालन पोषण  किया।
पोषण आहार और देखभाल के अभाव में मासूम बच्चा कुपोषित हो गया। भूखे रहने के कारण दिन रात रोता रहा। जिससे उपचार के लिए दादी जिला चिकित्सालय लाई। बच्चें को भर्ती कराया गया है। जब पोषणपुनर्वास केंद्र के सपोर्ट स्टाप को जानकारी लगी तेा बच्चें को उपचार के लिए केंद्र लाया गया है। यहां बच्चे का उपचार चल रहा है। जब पांच माह के बच्चे को उपचार के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था। तब उसका वजह 2 किलो 800 ग्राम था। पांच दिन में 300 ग्राम वजन बढ़ा है। यहां उसकी हालात में सुधार आया है लेकिन उपचार के लिए कम से कम 21 दिन पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती रखना पड़ेगा।
कुपोषण ने निपटने के अभियान की पोल खुली
प्रदेश में मातृ-बाल मृत्यू दर और कुपोषण से निपटने के कार्यक्रम चलाये जा रहे है। लेकिन इस बच्चे के मामले ने योजनाओं की पोल खोल दी है। दस्तक अभियान में यहां कोई नहीं पहुंचा और ना ही पोषण पुर्नवास केंद्र में भर्ती कराना की सलाह दी गई। दादी लमियाबाई के अनुसार होम डिलेवरी हुइ्र थी। और बच्चे का टीकाकरण भी नहीं किया गया है। महिलाबाल विकास विभाग के स्थानीय अमला के उपचार के लिए कोई प्रयास नहीं किये। जानकारी के अभाव के बावजूद दादी अस्पताल नहीं लाती तो मासूूम की हालात दिन-ब-दिन बिगड़ती जाती। महिला बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले की लापरवाही उजागर हुई है।
बच्चे को मदद की दरकार
मासूम गुड्डू की मां दुनिया से चल बसी और पिता छोड़कर चला गया। बच्चे की बूढ़ी दादी भी उम्र भर के लिए बच्चे का सहारा नहीं बन सकती। ऐसी स्थिति में कुपोषित बच्चे को मदद की दरकार है। महिलाबाल विकास विभाग की संचालित योजनाओं से उसे लाभाविंत किया जाना आवश्यक है। जिससे कुपोषण से बच्चें को बचाया जा सके। इसके अलावा  सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं के सहारे की जरूरत है। जिससे गरीब बूढ़ी दादी उसका पालन पोषण कर सके।
इनका कहना है
बच्चे को उसकी दादी लेकर आई है। उसका कहना है कि मां नही और पिता छोड़कर चला गया है। बच्चे का वजन कम है। उपचार किया जा रहा है।
रश्मि वर्मा, पोषण प्रशिक्षक, एनआरसी मंडला
बच्चा अतिकुपोषित था, यहां एनआरसी में भर्ती कराने के बाद हालात में सुधार आया है।
डॉ विजय धुर्वे, शिशु रोग विशेषज्ञ

 

Created On :   13 April 2018 12:32 PM GMT

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