जिस स्कूल के लिए जमीन दान दी, उसी में बना भृत्य, दो वर्ष से वेतन को भटक रहा, अब छोड़ी नौकरी

A peon resign his job due to salary stopped in anuppur district
जिस स्कूल के लिए जमीन दान दी, उसी में बना भृत्य, दो वर्ष से वेतन को भटक रहा, अब छोड़ी नौकरी
जिस स्कूल के लिए जमीन दान दी, उसी में बना भृत्य, दो वर्ष से वेतन को भटक रहा, अब छोड़ी नौकरी

डिजिटल डेस्क अनुपपुर । राज्य के अंतिम छोर में बसे डोला ग्राम पंचायत में शासकीय हाईस्कूल निर्माण के लिए श्रीमती रूपनबाई पाव ने अपनी भूमि दान में दी थी। साथ ही उसने इच्छा भी व्यक्त की थी कि उसका एक मात्र पोता योगेश सिंह को  इस विद्यालय में मानदेयी भृत्य के पद पर कलेक्टर दर पर दैनिक वेतनभोगी के रूप में रख लिया जाय। रूपन बाई की इस उदारता का सभी ने सम्मान भी किया था। वहीं तत्कालीन सांसद रहे स्व. दलपत सिंह ने भी 24 मार्च 2016 को कलेक्टर अनूपपुर को पत्र लिखकर योगेश सिंह को भृत्य के पद पर रखने की अनुशंसा की थी। अपने पत्र क्रमंाक 129/नि.स./ 2016 में भूमि दान और शासन के नियमों  के अनुरूप कलेक्टर दर पर योगेश को इस विद्यालय में नियुक्त करने की बात भी लिखी थी। सांसद के पत्र के पालन में योगेश को भृत्य के पद पर रख लिया गया  किंतु उनके निधन के पश्चात अब उसके वेतन के भुगतान में कोई भी रूचि नहीं दिखला रहा है।
शाला प्रबंधन समिति ने की नियुक्ति
शाला प्रबंधन विकास समिति के द्वारा 15 दिसंबर 2015 को एसएमडीसी की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्ष पीएन त्यागी के द्वारा की गई थी।  जिसमें विद्यालय की साफ-सफाई हेतु कलेक्टर दर पर दैनिक मजदूर के रूप में योगेश सिंह को सर्व सम्मति से रखा गया था। 15 दिसंबर 2015 से लेकर अगस्त 2017   तक योगेश सिंह ने इस पद पर कार्य भी किया। इस दौरान उसे मानदेय  के लिए सिर्फ आश्वासन मिलता रहा।
शिकायत के बाद लिखा पत्र
अंशकालीन भृत्य योगेश सिंह को मानदेय का भुगतान नहीं होने पर उसने विद्यालय प्राचार्य से लेकर शिक्षाधिकारी तक शिकायतें की। बीते वर्ष 28 फरवरी को विद्यालय के प्राचार्य द्वारा खंड शिक्षाधिकारी को पत्र लिखा गया था जिसमें उन्होंने   लिखा था कि सहायक आयुक्त के मौखिक आदेश पर अंशकालीन मानदेय पर साफ-सफाई के लिए भृत्य रखा गया है किंतु उसका मानदेय भुगतान आज तक नहीं किया गया है। 28 फरवरी 2017 को लिखे गए इस पत्र में आज दिनांक तक  कोई कार्यवाही नहीं हो पाई।
संघर्ष के बाद छोड़ा काम
दिसंबर 2015 से लेकर अगस्त 2017 तक कार्य करने व मानदेय नहीं मिलने   के कारण लगातार शिकायत कर अन्तत:: अगस्त 2017 में योगेश सिंह ने कार्य छोड़ दिया। 22 महीनों का मानदेय प्राप्त करने के लिए योगेश अब भी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। शिकायतों की लंबी फेहरिस्त के साथ ही उसने पूर्व सांसद के पत्रों को भी अपनी फाइल में सहेजकर रखा हुआ है।
इनका कहना है।
इस संबंध में जानकारी लेकर कार्यवाही की जाएगी।
पीएन चतुर्वेदी, सहायकआयुक्त आदिवासी विकास विभाग

 

Created On :   24 Feb 2018 8:21 AM GMT

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