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वेब सीरीज पर अंकुश लगाना बेवजह की दलील, हाईकोर्ट ने कहा- लोगों को इंटरनेट पर मनोरंजन ढूंढ़ने का अधिकार है

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंटरनेट पर प्रसारित वेब सीरीज में दिखाए जाने वाले हिंसक और अश्लील दृश्यों पर सेंसरशिप की मांग करती एक जनहित याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर की गई है। इस मामले में नागपुर के अधिवक्ता विल्सन मैथ्यू ने हाईकोर्ट में मध्यस्थी अर्जी दायर की है, जिसमें उन्होंने इस याचिका को ही बेवजह करार देते हुए इसका विरोध किया है। मैथ्यू के अनुसार जनहित याचिका में कानून के प्रावधानों को नजरअंदाज करते हुए महज कल्पनाओं के आधार पर निष्कर्ष निकाल कर दायर किया गया है। याचिकाकर्ता ने जिन दृष्यों को अश्लील करार देते हुए सीधे "पोर्नोग्राफी" करार दे दिया है, लेकिन ऐसा नहीं है, कानून की दृष्टि से इन दृष्यों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। स्वतंत्रता और निजता के अधिकार के तहत इंटरनेट पर कंटेट देखने का भी अधिकार नागरिकों को है। जिसके तहत वे अपना मनोरंजन स्वयं चुन सकते हैं। मध्यस्थी अर्जी में जनहित याचिका की प्रार्थना के मुताबिक वेब सीरिज पर बेवजह अंकुश लगाने से दर्शकों के मौलिक अधिकार बाधित होंगे। जल्द ही इस मामले में हाईकोर्ट मंे सुनवाई होगी।
यह है आपत्ति
जनहित याचिका दायर करने वाली याचिकाकर्ता अधि. दिव्या गोंतिया के अनुसार इंटरनेट के प्रसार के बाद वेब सीरीज लोगों में खासकर युवाओं के बीच खासी लोकप्रिय है, लेकिन टीवी या सिनेमा हॉल में प्रदर्शित प्रोग्राम और फिल्मों की तरह इन वेब सीरीज पर सेंसर बोर्ड का नियंत्रण नहीं होता। यही कारण है कि इनके कंटेट में कई प्रकार के हिंसक, आक्रामक और अश्लील दृश्यों की भरमार होती है। इनके निर्माता जानबूझकर अपनी व्यूवरशिप बढ़ाने के लिए इस तरह के दृश्यों का अनावश्यक प्रयोग करते हैं। यहां तक कि 18 वर्ष से कम आयु वाले व्यूवर्स के लिए कोई चेतावनी भी नहीं होती। इन दृश्यों में महिलाओं और वर्ग विशेष को नकारात्मक छवि में दर्शाया जाता है।
होते हैं भद्दे कमेंट्स
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से प्रार्थना की है कि वे इनके हिंसक और अश्लील कंटेट पर लगाम लगाने के आदेश जारी करें। वेब सीरीज को भी टीवी चैनल, प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ही तरह सेेंसर बोर्ड, ब्रॉडकास्टिंग कोड या प्रेस काउंसिल कोड जैसे किन्हीं दिशा-निर्देशों के दायरे में लाया जाए। इसी तरह वेब सीरीज का प्रॉडक्शन करने वाले प्रॉडक्शन हाउसेस के लिए लाइसेंस सिस्टम लागू किया जाए। मामले में सूचना व प्रसारण मंत्रालय, गृह विभाग और कानून व न्याय विभाग को जरूरी दिशा-निर्देश लागू करने के आदेश जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की गई है। उल्लेखनीय है कि वेब सीरीज पर कई बार इतने भद्दे कमेंट्स होते हैं कि किसी के सामने यदि इसे ओपन कर दिया जाए, तो शर्म आएगी। लोग अपनी पूरी भड़ास इस पर ही निकालते हैं, इसलिए गंदी-गंदी गालियां भी डाल देते हैं, उन्हें इससे कोई मतलब नहीं रहता है कि बच्चे और महिलाएं भी इसे देखती होंगी। इस पर लगाम लगाने से काफी हद तक सकारात्मक परिणाम आने की भी उम्मीद जताई गई है।
Created On :   16 Oct 2018 2:26 PM IST