पांच दिनों से धधक रहा नागझिरा अभयारण्य, खतरे में वनसंपदा और वन्यजीव

A terrible fire in the buffer zone of Nagzira-Navegaon corridor in gondia
पांच दिनों से धधक रहा नागझिरा अभयारण्य, खतरे में वनसंपदा और वन्यजीव
पांच दिनों से धधक रहा नागझिरा अभयारण्य, खतरे में वनसंपदा और वन्यजीव

डिजिटल डेस्क, गोंदिया।  जिले के नागझिरा-नवेगांव कॉरिडोर के बफर जोन में आने वाला सैकड़ों हेक्टेयर वनक्षेत्र पिछले पांच दिनों से भयानक आग से धधक रहा है। आग पर काबू करने के लिए वनविभाग से सभी प्रयास अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। इस आग से जहां एक ओर बड़े पैमाने पर वनसंपदा नष्ट हो रही है, वहीं वन्यजीवों के प्राण संकट में पड़ गए हैं।  

बहुमूल्य वनसंपदा व वन्यजीव खतरे में
जानकारी के अनुसार पिछले तीन-चार दिनों से नागझिरा-नवेगांव कॉरिडोर के बफर जोन में आने वाले मुल्ला तेंदू यूनिट, डोंगरगांव डिपो, डुग्गीपार, शशिकरण पहाड़ी, पुतली फाटा क्षेत्र का जंगल, शेंडा कोयलारी, कोहड़ीपार, खामतालाव, झुंझारीटोला, नवतालाव, आलाबेदर, नकट्या तालाब परिसर, जांभडी-1, जांभडी-2 (एफडीसीएम), नार्थ देवरी, सड़क-अर्जुनी रेंज के जंगलों में भयानक आग लगी हुई है। इस कारण वनक्षेत्र के कुछ कंपार्टमेंट तो 80 प्रतिशत तक जल चुके हैं। इसके अलावा कंपार्टमेंटनं.498,499,511,512,513,531,532, 533, 534, 535,536  भी भयानक आग की चपेट में आ गए हैं। एक साथ इतने बड़े क्षेत्र में आग लगने के कारण वनविभाग को भी लाख प्रयास करने के बावजूद इसे काबू में करने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। आग के कारण जहां एक ओर झाडिय़ां एवं छोटे पेड़ नष्ट हो रहे हैं। दूसरी ओर वन्यजीवों एवं रेंगने वाली प्रजाति के अनेक प्राणियों की जान भी जा रही है। 

पहले भी लगी थी आग 
वर्तमान में लगी आग से पहले भी नागझिरा के उत्तरी भाग में आने वाले गंगाझरी, खरोबा की पहाड़ीयां, केलझरा, हरी तालाब, जांभडी, जुनेवानी एवं बोदलकसा क्षेत्र का कुछ भाग आग की चपेट में आया था। इससे बड़ी मात्रा में वनसंपदा का नुकसान हुआ था। इसकी जानकारी भी वनविभाग को दी गई थी। प्रतिवर्ष वनक्षेत्र में तेंदूपत्ता तुड़ाई के लिए ठेकेदारों को ठेके दिए जाते हंै। कहा जाता है कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही अच्छी क्वालिटी एवं बेहतर क्वांटिटी के तेंदूपत्ता संकलन की दृष्टि से भी वनक्षेत्रों को जान बूझकर आग लगाई जाती है। लेकिन इससे बड़े पैमाने पर जैवविविधता नष्ट हो रही है। इससे वन एवं वन्यजीव प्रेमियों में निराशा एवं आक्रोश है। गत वर्ष शशिकरण पहाड़ी वनक्षेत्र में आग लगाने के मामले में कुछ लोग पकड़े भी गए थे एवं उन पर मामला भी दर्ज किया गया था।  बाद में वे जमानत पर छूट गए थे। इस संबंध में वनविभाग को सख्ती से कार्रवाई करनी होगी अन्यथा जिले की पहचान बना वनक्षेत्र धीरे-धीरे नष्ट हो जाएगा। 

संस्थाएं भी कर रहीं मदद
वनविभाग आग पर काबू पाने के लिए प्रयास कर रहा है। इस कार्य में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही सेवा संस्था के सदस्य चेतन जसानी, शंशाक लाडेकर, दुष्यंत आकरे, अविजीत परिहार, विकास फरकुंडे एवं गांव के प्रायमरी रिस्पांस टीम के सदस्य भी काफी सहयोग कर रहे हैं। संस्था के सदस्य वनक्षेत्रों में लगी आग की जानकारी भी वनविभाग को लगातार देते आ रहे हैं। फायर फाइटिंग इक्विपमेंट नहीं होने से भी आग पर जल्द काबू पाने में समस्या निर्माण होती है। वनविभाग को आग के कारणों की पारदर्शी जांच कराकर इसके लिए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।   (सावन बहेकार, अध्यक्ष सेवा संस्था)

आग पर काबू के प्रयास जारी
वनक्षेत्र में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई है। विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि आग से निश्चित रूप से कितना क्षेत्र प्रभावित हुआ है, इसकी जानकारी जल्द से जल्द दी जाए। हर परिक्षेत्र में ५-५ लोगों की टीम फायर ब्लोअर के साथ आग बुझाने के लिए तैनात की गई है। कई बार वनक्षेत्र से सटे किसानों द्वारा भी आग लगाए जाने की घटनाएं होती है। तेंदू यूनिट में आग लगाए जाने के संबंध में भी जांच की जाएगी एवं यदि कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं ऐसा पाए जाने पर यूनिट की नीलामी को भी रद्द किया जा सकता है। (एस. युवराज, डीएफओ गोंदिया )  

Created On :   23 March 2018 3:57 PM IST

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