कमेटी के फैसले के खिलाफ अदालत जा सकती है यौन उत्पीड़न की शिकार महिला 

A woman victim of sexual harassment can go to court against the decision of the committee
कमेटी के फैसले के खिलाफ अदालत जा सकती है यौन उत्पीड़न की शिकार महिला 
कमेटी के फैसले के खिलाफ अदालत जा सकती है यौन उत्पीड़न की शिकार महिला 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकार कोई महिला यदि संस्थान  की ओर से गठित आंतरिक कमेटी के निर्णय से अंसतुष्ट होती है तो वह कमेटी केनिर्णय के खिलाफ औद्योगिक न्यायालय में अपील कर सकती है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में यह बात स्पष्ट की  है। अदालत ने यौन उत्पीड़न की शिकार एक बड़े औद्योगिक समूह की कंपनी में कार्यरत महिला को औद्योगिक न्यायालय में जाने  का निर्देश दिया है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकार महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में महिला ने कंपनी की आंतरिक कमेटी की ओर से मार्च 2020 को दिए गए निर्णय को चुनौतीदी थी। याचिका के मुताबिक कमेटी ने महिला की ओर से कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न प्रतिबंधक कानून के तहत यौन उत्पीड़न की शिकायत पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की थी और उसे खारिज  कर दिया था।

न्यायमूर्ति उज्जल भूयान व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठके सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ को बताया गया कि यदि कोई आंतरिक कमेटी  के निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो वह  यौन उत्पीड़न पर  प्रतिबंध लगानेवाले कानून के तहत अपील कर सकता है। यह अपील औद्योगिक न्यायालय  में 90 दिन के भीतर की जा सकेगी। राज्य  के उद्योग व श्रम विभाग ने भी इस बारे में 31 मार्च 2021 को अधिसूचना जारी की है। सरकारी वकील से मिली इस जानकारी के बाद खंडपीठ ने महिला को आंतरिक कमेटी के निर्णय  के खिलाफ औद्योगिक  न्यायालय  में अपील करने को कहा।खंडपीठ  ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो औद्योगिक न्यायालय में अपील दायर करने में हुई देरी को नजर अंदाज  करने  के  लिए आवेदन  कर सकती है। क्योंकि  उसका काफी समय हाईकोर्ट में बीत गया है। इस तरह से खंडपीठ  ने महिला को औद्योगिकी न्यायालय जाने को कहा और याचिका को समाप्त कर दिया।  

Created On :   10 July 2021 7:05 PM IST

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