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डेढ़ लाख पशुओं का बनाया जाएगा आधार कार्ड , चलाया जा रहा अभियान
- ( सीधी ) जिले में पशु पालन विभाग द्वारा डेढ़ लाख पशुओं का डिजिट आधार कार्ड तैयार किया जाएगा।
- जिले में पशुपालन विभाग द्वारा पालतू एवं आवारा पशुओं की पहचान के लिये उनका रजिस्ट्रेशन कर उनकी पहचान के लिये टैग लगाया जा रहा है।
- जिसमें गाय व भैंसों के कानों में 12 अंक का डिजिट नंबर होता है।
- पशुओं की पहचान को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा इंफार्मेशन नेटवर्क फॉर एनीमल प्रोडक्टिविटी एंड हेल्प इनफ योजना
डिजिटल डेस्क सीधी। जिले में पशु पालन विभाग द्वारा डेढ़ लाख पशुओं का डिजिट आधार कार्ड तैयार किया जाएगा। इस योजना के तहत पिछले माह से चलाए गए अभियान में अब तक 4 हजार 792 पशुओं का रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा किया जा चुका है। जिसमें 626 पशुओं का पूरा डाटा पोर्टल ऑनलाइन किया जा चुका है। इसमें पशु और उसके मालिक की जानकारियां शामिल की गई है। ज्ञात हो कि पशुओं की पहचान को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा इंफार्मेशन नेटवर्क फॉर एनीमल प्रोडक्टिविटी एंड हेल्प इनफ योजना के तहत पोर्टल तैयार किया गया है। जिसके तहत जिले में पशुपालन विभाग द्वारा पालतू एवं आवारा पशुओं की पहचान के लिये उनका रजिस्ट्रेशन कर उनकी पहचान के लिये टैग लगाया जा रहा है। जिसमें गाय व भैंसों के कानों में 12 अंक का डिजिट नंबर होता है।
पशु मालिक एवं कान में लगे टैग को ऑनलाइन कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से एक क्लिक पर पशु और मालिक से जुड़ी तमाम जानकारी इकठ्ठा हो जाती है। जिसमें पशु की नस्ल, उम्र, आखिरी प्रजनन और गर्भाधान का समय, दूध की मात्रा के साथ बीमारियां एवं दी जाने वाली दवाइयां आदि का रिकॉर्ड भी तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही पशु मालिक का नाम व पता भी शामिल किया जा रहा है। पशुओं की ऑनलाइन पहचान होने से सड़कों पर जहां आवारा पशुओं का जमावड़ा नहीं होगा वहीं अगर कोई भी पालतू पशु आवारा रूप में मिलेगा तो उसकी धरपकड़ के साथ ही संबंधित पशु मालिक के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई भी की जानी संभावित होगी। पशुओं में टैग लगाने का कार्य जिले के सभी विकासखण्डों में विभाग द्वारा किया जा रहा है। हालांकि गोकुल महोत्सव के चलते पशुओं में टैग लगाने की गति धीमी चल रही है लेकिन विभाग की मानें तो गोकुल शिविरों के समाप्त होते ही इस कार्य को अभियान के तहत पूरा किया जाएगा।
पशुओं के रजिस्ट्रेशन से यह फायदा
योजना के तहत पशुओं को यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा। पशुओं की जानकारी जुटाने के बाद उन्हें 12 अंकों का एक नंबर दिया जाएगा और कान में बार कोड वाला विशेष टैग लगाया जाएगा। शहर सहित सभी विकासखण्डों में पशुपालन विभाग की ओर से मवेशियों का रजिस्ट्रेशन होने से शहर एवं गांवों में आवारा घूमने वाले मवेशियों की पहचान होने के साथ ही पशुओं के सड़क दुर्घटना में कमी लाने के लिए आवारा मवेशियों की धरपकड़ भी हो सकेगी। पशुओं की जानकारी ऑनलाइन होने से उसकी एवं पशु मालिक की पहचान भी आसानी से हो सकेगी। इतना ही नहीं अगर पशु कहीं खो गया तो उसे खोजने में भी पशु पालक को भटकना नहीं पड़ेगा। पशुओं से जुड़ी योजनाओं का लाभ भी मिलने में आसानी होगी।
इनका कहना है
शासन की इनफ योजना पशुओं की पहचान के लिये बेहद अच्छी है। पशुओं में टैग लगने के बाद अब पशु और उसके मालिक की पहचान आसानी से हो सकेगी। इसके लिये अभियान चलाकर पशुओं का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। निर्धारित अवधि के अंदर लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
डा. एमएल गौतम उप संचालक, पशु पालन विभाग।
Created On :   9 May 2018 2:07 PM GMT