‘आम आदमी बीमा योजना’ बंद , कामगारों के बच्चों की शिक्षा पर आ सकता है संकट

Aam Aadmi Bima Yojana is closed, workers children education crises
‘आम आदमी बीमा योजना’ बंद , कामगारों के बच्चों की शिक्षा पर आ सकता है संकट
‘आम आदमी बीमा योजना’ बंद , कामगारों के बच्चों की शिक्षा पर आ सकता है संकट

डिजिटल डेस्क,नागपुर। भूमिहीन व असंगठित कामगारों के बच्चों के लिए चलाई जानेवाली ‘आम आदमी बीमा योजना’ बंद कर दी गई। इस योजना के तहत स्कूल में पढ़नेवाले कामगारों के बच्चों को सालाना 1200 रुपए सोशल सिक्योरिटी के तौर पर दिए जाते थे। घोटालों के चलते यह योजना कई बार सुर्खियों में रही। ‘जनश्री बीमा योजना’ के नाम से चलनेवाली इस योजना का नाम बदल कर इसे ‘आम आदमी बीमा योजना’ कर दिया गया था।

गैर सरकारी संस्थाओं के खाते में जमा होते थे पैसे
भूमिहीन व असंगठित कामगारों के बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने जनश्री बीमा योजना लाई थी। सोशल सिक्योरिटी के तौर पर 1 से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को 1200 रुपए दिए जाते थे। छह-छह महीने में 6-6 सौ रुपए गैर-सरकारी संस्थाआें के खाते में जमा किए जाते थे। इसके बाद संस्थाएं यह राशि विद्यार्थियों को देती थीं। योजना में घोटाला होने के बाद सरकार ने सीधे विद्यार्थियों के खाते में पैसे जमा करने का निर्णय लिया था। 1 जनवरी 2013 को इस योजना का नाम बदलकर आम आदमी बीमा योजना कर दिया गया था। 2014 से विद्यार्थियों के खाते में पैसे डाले जा रहे थे। इसके बाद भी पैसे की हेरा-फेरी को लेकर यह योजना सुर्खियों में रही थी। 

एलआईसी करती थी मॉनिटरिंग
योजना के तहत विद्यार्थी के पालक का बीमा भी कराया जाता था। पालक का निधन होने पर 30 हजार आैर दुर्घटना में मौत होने पर 70 हजार रुपए संबंधित परिवार को दिए जाते थे। केंद्र सरकार कल्याण निधि के लिए रखी राशि से यह योजना चलती थी। भारतीय जीवन बीमा को इसकी मानिटरिंग में लगाया गया था। विद्यार्थी को हर साल पैसे केंद्र सरकार देती थी। इसी तरह बीमा हप्ता भी केंद्र सरकार ही भरती थी। एक लाभार्थी का साल में एक बार ही बीमा कराया जाता था। नागपुर जिले में इस योजना के एक लाख से ज्यादा लाभार्थी थे। जबसे विद्यार्थी के खाते में पैसे जमा होने लगे, एनजीआे ने इसमें दिलचस्पी लेना बंद कर दिया। लाभार्थियों की संख्या भी कम होने लगी थी। 

खर्च के साथ बदनामी भी मिली
सरकार ने यह योजना भूमिहीन व असंगठित कामगारों के बच्चों के हित में शुरू की थी। कई एनजीआे ने विद्यार्थियों का पैसा खा लिया। अनियमितता व घोटाले के मामले नागपुर जिले में भी हुए। घोटाले व अनियमितता बढ़ने के बाद विद्यार्थियों के खाते खोले गए। बावजूद इसके अनियमितता जारी रही। पुलिस से लेकर सीबीआई तक के पास मामले पहुंचे। सरकार के लिए यह योजना खर्चीली तो थी ही, नाम कम आैर बदनामी ज्यादा हो रही थी। एनजीआे के साथ एलआईसी अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप भी लगते रहे। 

सरकार ही कर सकती है योजना बंद करने का खुलासा 
सरकार ने योजना शुरू की थी आैर सरकार ने ही यह योजना बंद की। योजना में अनियमितता सुर्खियों में रही थी। योजना क्यों बंद हुई, इसका जवाब नहीं है। इसका खुलासा सरकार ही कर सकती है। योजना शुरू करने व बंद करने का अधिकार सरकार का है। इसमें हमारा दखल नहीं होता। विद्यार्थियों के खाते में पैसे जमा होने के बाद एनजीआे कम दिलचस्पी लेने लगे थे।  प्रदीप सूर्यवंशी, सहायक मंडल प्रबंधक एलआईसी (पी एंड जीएस यूनिट) नागपुर
 

Created On :   9 May 2018 4:06 PM IST

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