एग्रीकल्चर में शैक्षणिक क्रांति, लड़कियों की संख्या 10 वर्षों में तिगुनी

Academic revolution in agriculture, number of girls tripled in 10 years
एग्रीकल्चर में शैक्षणिक क्रांति, लड़कियों की संख्या 10 वर्षों में तिगुनी
एग्रीकल्चर में शैक्षणिक क्रांति, लड़कियों की संख्या 10 वर्षों में तिगुनी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एग्रीकल्चर विषय को लेकर अब लड़कियां भी गंभीर हैं। शहर के डॉ. पंजाबराव देशमुख विद्यापीठ में लड़कियों की संख्या पिछले दस वर्षों में तिगुनी हुई है। पहले कृषि विभाग में एक या दो लड़कियां हुआ करती थीं, परंतु अब ये अनुपात बढ़कर 50-50 प्रतिशत हो गया है। हार्टीकल्चर की बात की जाए तो इसमें लड़के कम और लड़कियां ज्यादा हैं। गोल्डन रेवोल्यूशन और रेनबो रेवोल्यूशन के बाद कृषि का जीडीपी में प्रतिशत बढ़ा है। वहीं,हार्टीकल्चर, एग्रोनॉमी और सॅायल सांइस में बढ़ती संभावनाओं से अब शहरी छात्र भी इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए इसकी पढ़ाई में रुचि लेने लगे हैं। बता दें कि यह क्षेत्र पहले ग्रामीण छात्रों तक ही सीमित माना जाता रहा है।

सातारा और कोंकण के विद्यार्थी भी आते हैं नागपुर
प्रवेश परीक्षा में विद्यार्थी नागपुर के डॉ. पंजाबराव देशमुख विद्यापीठ को प्राथिमकता दे रहे हैं। महाराष्ट्र में चार कृषि विश्वविद्यालय हैं और पूरे देश में इनकी संख्या 75 है। इसकी वजह से रोजगार के अवसर भी बहुत हैं, इसी वजह से विद्यार्थी कृषि विज्ञान में पीजी करते हैं। ये कृषि और विज्ञान का तालमेल है।

शहरी विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है
पीजी कोर्सेज में जेनेटिक्स, प्लान रीडिंग, एग्रोनॉमी जैसे विषयों में विद्याथिर्यों की दिलचस्पी है। आंकड़ों के मुताबिक शहरी छात्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। तकनीक ने कृषि उत्पाद के निर्यात, कृषि इनपुट में लगी कंपनियों, फील्ड मूल्यांकन, विपणन आदि गतिविधियों से जुड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों डेयरी जैसे क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं बढ़ने से शहरी छात्राओं ने दिलचस्पी लेनी शुरू की है।

कृषि विज्ञान की यह खासियत
डॉ. आर.पी. गजभिए, एचओडी, हार्टीकल्चर विभाग के मुताबिक कृषि विज्ञान की खासियत यह है कि लैबोरेटरी और शोध दोनों क्षेत्रों में सम्बद्ध बनाया जाता है। वहीं जिनके पास स्वयं की जमीन है उनके लिए खाद्यान्न, अंगूर, फल, दाल, सब्जियों, फूल, नकदी फसलों, कपास व नर्सरी बगीचों का प्रबंध,आदि काम कर सकते हैं।

नर्सरी खोल रहे युवा
नर्सरी मालिक रवि शेंडे का कहना है कि फूलों की बढ़ती मांग ने फूलों के कारोबार को काफी विकसित किया है। खुद की नर्सरी खोल कर अच्छी कमाई की जा सकती है। इसके अलावा फ्लोरल डिजाइनर, लैंडस्केप डिजाइनर, फ्लोरीकल्चर थेरेपिस्ट, प्लांटेशन एक्सपर्ट, प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर के साथ आप रिसर्च और टीचिंग भी कर सकते हैं।

 

Created On :   2 Sept 2018 5:58 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story