चंद्रपुर में दिसंबर तक शुरु होगी वन अकादमी, बनेगी आग पर काबू पाने की रणनीति

Academy will start in Chandrapur by December, strategy to overcome fire
चंद्रपुर में दिसंबर तक शुरु होगी वन अकादमी, बनेगी आग पर काबू पाने की रणनीति
चंद्रपुर में दिसंबर तक शुरु होगी वन अकादमी, बनेगी आग पर काबू पाने की रणनीति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि जंगल में लगनेवाली आग पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार ठोस प्रयास कर रही है। चंद्रपुर में दिसंबर तक ‘वन वनवा अकादमी’ की शुरुआत होगी। अकादमी के माध्यम से जंगल की आग पर नियंत्रण के अलावा अन्य उपाय योजनाओं पर काम होगा। बाघ जयचंद के लापता होने के मामले को प्रकृति का हिस्सा मानते हुए वनमंत्री ने कहा कि बड़े होकर अक्सर बाघ अपने क्षेत्र छोड़ जाते हैं। पौधारोपण अभियान की समीक्षा के सिलसिले में यहां आए श्री मुनगंटीवार वानामति सभागृह में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। 

रक्षकों की संख्या बढ़ाएंगे 
उन्होंने कहा कि जंगल में आग लगने पर नियंत्रण की फिलहाल ठोस व्यवस्था नहीं है। सदियों से जंगल जलते रहे हैं। पौराणिक तौर पर भी इन घटनाओं का जिक्र मिलता है। जंगल की आग से नुकसान चिंता का विषय है। इस नुकसान पर नियंत्रण के लिए प्रयास हो रहा है। पहले 1000 बाय 1000 मीटर क्षेत्र का ‘वनवा’ यानी जंगल की आग प्रभावित क्षेत्र मानकर आग नियंत्रण कार्य चलते थे। अब 300 मीटर क्षेत्र में आग को ‘वनवा’ माना जाएगा। फिलहाल  1000 मीटर पर एक सुरक्षा रक्षक नियुक्त है। चंद्रपुर की ‘वन वनवा’ अकादमी में आग नियंत्रण की अत्याधुनिक सुविधाएं रहेगी। ‘वन वनवा’ प्रतिबंधक वैन रहेगी। सुरक्षा रक्षकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। ड्रोन के माध्यम से जंगल की आग का पता लगाया जाएगा। 

मध्य भारत में सबसे अधिक बाघ यहां 
विदर्भ के जंगल से बाघों के लापता होने के प्रश्न पर वनमंत्री ने कहा कि जंगल में जब युवा बाघ आगे आते हैं तब बुजुर्ग होते बाघ क्षेत्र छोड़ने लगते हैं। बाघ अपने क्षेत्र में किसी का प्रभाव सहन नहीं करते हैं। विदर्भ क्षेत्र में बाघों केविचरण के लिए व्यापक क्षेत्र है। मध्यभारत में सबसे अधिक बाघ विदर्भ और िवदर्भ के आस-पास के जंगल में है। यहां 13 बाघ संरक्षण प्रकल्प हैं। इनमें मध्यप्रदेश के 4, छत्तीसगढ़ 3, तेलंगाना का एक प्रकल्प शामिल है। 300 वर्गकिमी क्षेत्र में फैले इस क्षेत्र में 350 बाघ हैं। एक प्रश्न पर वनमंत्री ने बताया कि सड़क हादसों में वन पशुआें की जानें जा रही हैं। 5 वर्षों में राज्य में 35 तेंदुए व 5 बाघ सड़क हादसे के शिकार हुए हैं। 
 

Created On :   31 May 2018 1:24 PM IST

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