दुष्कर्म पीड़िता का बयान विश्वसनीय होने पर ही मंजूर

Accepted only if the statement of the rape victim is reliable
दुष्कर्म पीड़िता का बयान विश्वसनीय होने पर ही मंजूर
दुष्कर्म पीड़िता का बयान विश्वसनीय होने पर ही मंजूर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 21 वर्षीय विवाहिता से दुष्कर्म के आरोपी युवक को निर्दोष करार दिया है। युवक गड़चिरोली जिले के विश्वनाथनगर का रहने वाला है।  युवक और महिला के पति में दोस्ती थी। युवक का उसके घर आना-जाना था। फरवरी 2014 में एक दिन पति की अनुपस्थिति में महिला के घर पहुंचकर दुष्कर्म का दोषी मानकर गड़चिरोली सत्र न्यायालय ने उसे भादवि 376 के तहत 7 साल की जेल की सजा सुनाई थी। 

अब हाईकोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया है। न्या. पुष्पा गनेडीवाला की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यह माना कि "दोनों में सहमति से संबंध थे" बचाव पक्ष की यह दलील तथ्यहीन नहीं है। पीड़िता के बयान में भी कई खामियां हैं और आरोपी युवक के खिलाफ अन्य कोई ठोस सबूत भी नहीं है। पीड़िता के बयान को तब ही मंजूर किया जा सकता है, जब वह विश्वसनीय हो।

कोर्ट ने माना : "दोनों में सहमति से संबंध थे" बचाव पक्ष की यह दलील तथ्यहीन नहीं है। पीड़िता के बयान में भी कई खामियां हैं और आरोपी युवक के खिलाफ अन्य कोई ठोस सबूत भी नहीं है। पीड़िता के बयान को तब ही मंजूर किया जा सकता है, जब वह विश्वसनीय हो।

दुराचार की बात पहले क्यों नहीं बताई? इस मामले में हाईकोर्ट ने माना कि पीड़िता ने अपनी मूल शिकायत में सिर्फ विनयभंग के आरोप लगाए थे, जबकि कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसने बलात्कार होने का भी आरोप लगाया था। पीड़िता ने इस बात पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया कि उसने पुलिस को दी गई अपनी मूल शिकायत में  दुष्कर्म की शिकायत क्यों नहीं की? न ही निचली अदालत में जांच अधिकारी द्वारा बलात्कार की पुष्टि की गई।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि दुष्कर्म के मामलों में पीड़िता के बयान का अत्यधिक महत्व है। बशर्ते उसका बयान विश्वसनीय और सच्चा हो। इस मामले में पीड़िता के बयान पर आंख मूंद कर विश्वास नहीं किया जा सकता। सरकारी पक्ष आरोपी के खिलाफ अन्य ऐसे ठोस सबूत भी प्रस्तुत नहीं कर सका है, जिससे उसे बलात्कार जैसे गंभीर मामले में 7 वर्ष तक जेल में रखा जाए। 

 

Created On :   30 Jan 2021 3:36 PM IST

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