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फर्जी जाति प्रमाणपत्र से हथियाई नौकरी, शिक्षक से बन गए प्राचार्य

डिजिटल डेस्क, शहडोल। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक की नौकरी हथिया कर अब तक प्राचार्य बन चुके एक आरोपी पर अब कार्रवाई होगी । पिछले 30 साल से नौकरी करने वाले शिक्षक ने हर सरकारी सुविधा का लाभ अर्जित किया । शासन स्तर पर गठित उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने शिक्षक का अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। इसकी सूचना कलेक्टर को भेज दी है। कार्रवाई के लिए दो दिन पहले ही कलेक्टर ने कमिश्नर से अनुशंसा की है। रूंगटा कॉलरी तहसील सोहागपुर निवासी पीके लारिया वर्तमान में कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल अनूपपुर में प्राचार्य के पद पर पदस्थ हैं । लारिया मूलत: ग्राम बच्छर गांव जिला डिंडौरी के निवासी हैं, जहां पनिका जाति पिछड़ा वर्ग में शामिल है।
लिया अनुचित लाभ
अनुसूचित जनजाति का लाभ प्राप्त करने के लिए उन्होंने शहडोल जिले से जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अनुसूचित जनजाति का लाभ प्राप्त किया। 2010 में इस संबंध में शिकायत मिलने पर इसकी जांच कराई गई थी। बाद में मामला उच्च स्तरीय छानबीन समिति के पास पहुंचा था। छानबीन समिति की 19 जनवरी 2018 को हुई बैठक में मामले पर विचार किया गया और सर्वसम्मति से पीके लारिया के जिला संयोजक आदिम जाति एवं हरिजन कल्याण शहडोल द्वारा 21 अगस्त 1980 को जारी किए गए पनिका अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने का निर्णय लिया गया।
साक्ष्य नहीं दे सके लारिया
पूरी जांच के दौरान एक बार भी लारिया छानबीन समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अपनी जाति को साबित करना उस व्यक्ति का काम है, जिसने संवैधानिक आरक्षण का लाभ प्राप्त किया है। लेकिन पीके लारिया ने अपने पनिका अनुसूचित जनजाति के होने के संबंध में ऐसा कोई साक्ष्य, अभिलेख या प्रमाणिक तथ्य प्रस्तुत नहीं किया, जिससे यह सिद्ध होता हो कि वे जनजाति समुदाय के सदस्य होकर पनिका जनजाति के हैं।
जाएगी नौकरी, छिनेगा लाभ
मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग (आरक्षण प्रकोष्ठ) भोपाल द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति के उम्मीदवारों के लिए जाति प्रमाण पत्र के संबंध में गलत जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर जरूरी निर्देश जारी किया गया है। इसके अनुसार जांच समिति या प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जांच में यह पाया जाता है कि जाति प्रमाण पत्र आवेदक द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर प्राप्त किया गया है तो आवेदक को जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ली गई तमाम सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा। साथ ही जो लाभ प्राप्त किया गया है उसकी भरपाई भी करनी पड़ेगी। शासन द्वारा संबंधित व्यक्ति को किए गए खर्च की क्षतिपूर्ति भी उसे करनी होगी तथा संबंधित के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी।
Created On :   2 Jan 2019 1:59 PM IST