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राफेल को लेकर महाघोटाले की आशंका, सरकार सामने आकर दे जवाब : शत्रुघ्न सिन्हा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राफेल विमान सौदा मामले को लेकर उठ रहे सवालों के साथ भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर निशाना साधा। सिन्हा ने कहा भ्रष्टाचार व घपलों के मामले में पहले आरोप लगाए जाते थे, लेकिन अब राफेल को लेकर तो महाघोटाला की आशंका है। सरकार की ओर से केवल कुछ मंत्री जवाब दे रहे हैं। प्रधानमंत्री चुप हैं। राफेल तो सरकार के लिए काल बनने लगा है। सरकार सामने आकर इस मामले में जवाब दे।
संघ का दर्द भी उभर रहा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आेर से कई बातें कही गई हैं। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने तो यह कह दिया है कि स्वयंसेवक चुनाव के संबंध में स्वयं निर्णय लें। सरसंघचालक के इस बयान में संघ की वेदना व दर्द भी छिपा है। उसका ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
संघर्ष का दौर देखा है
मैंने भाजपा के संघर्ष का दौर देखा है। मंत्री बनने या टिकट पाने के लिए कोई बात नहीं करता हूं। टिकट के ऊपर निकल चुका हूं। फिर यह अवश्य कहूंगा कि पिछला चुनाव मैंने काफी मतों के अंतर से जीता था। जो कहते हैं टिकट नहीं मिलेगा, वे पहले बताएं कि टिकट क्यों नहीं देंगे। और हां, पहले यह भी तो तय कर लें कि मैं टिकट लूंगा भी या नहीं। टिकट की बात करनेवालों को तो उम्मीदवार भी नहीं मिल रहे हैं। मेरी पहचान मंत्री से नहीं है।
मनभेद न हो
विपक्ष के लोग दुश्मन नहीं होते हैं। किसी से मतभेद हाे सकता है, मनभेद नहीं होना चाहिए। ममता बैनर्जी, मायावती, अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेता व विपक्ष के दल राष्ट्र विकास के कार्य कर रहे हैं। उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री बड़प्पन दिखाएं
पीएम व सरकार की कार्यशैली को दबावकारी ठहराते हुए सिन्हा ने कहा कि अब तो आरएसएस भी वेदना व्यक्त करने लगी है। संघ की वेदना का थोड़ा ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे किसी पहचान या टिकट के मोहताज नहीं हैं। इसलिए जहां भी खुलकर बोलने की आवश्यकता होगी, बोलते रहेंगे। काटोल में एक कार्यक्रम के सिलसिले में शुक्रवार को यहां आए सिन्हा चुनिंदा पत्रकारों से विविध विषयों पर चर्चा कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन भाजपा के विधायक आशीष देशमुख ने किया है। राफेल मामले पर सिन्हा ने कहा कि सरकार को विमान सौदे का सीधे तौर पर दाम बताना चाहिए। अरुण जेटली रक्षा विभाग के मंत्री नहीं हैं। उनके जवाब का कोई मतलब नहीं है। वास्तविकता का सामना करने के बजाय फेक न्यूज का सहारा लेने का जो चलन चल रहा है, वह लंबे समय तक नहीं चल पाएगा। ईमानदारी व पारदर्शिता साथ-साथ नहीं दिखती है, लेकिन यह भी नहीं भुलाया जा सकता है कि इन दोनों के साथ होने पर ही कोई बात बनती है। सही समय पर सही निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। पीएम बड़प्पन दिखाएं।
Created On :   22 Sep 2018 7:50 AM GMT