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अर्धनग्न प्रदर्शन कर रहे आदिवासी किसानों ने कहा- अब विकल्प नहीं, हाेंगे निर्वस्त्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर बने बावनथड़ी प्रकल्प में 311 आदिवासी किसानों के 4.48 करोड़ रुपए अधिकारी डकार गए। 30 साल बाद भी इन किसानों को कोई मुआवजा नहीं मिला। जिलाधिकारी सचिन कुर्वे, विदर्भ पाटबंधारे विकास महामंडल के मुख्य अभियंता ए. वी. सुर्वे और मौदा के तत्कालीन एसडीओ अविनाश कातडे ने अपनी रिपोर्ट में इस भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।
किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं
तीनों रिपोर्ट में गड़बड़ी का खुलासा होने के बावजूद आज तक किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला गंभीर है, लेकिन कोई बोलने तैयार नहीं है। आदिवासी किसान पिछले एक सप्ताह से नागपुर के संविधान चौक पर अर्धनग्न प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को केले के पत्तों से अंग ढंककर किसानों ने अपने हालात सामने रखे। अब रविवार को पूरा नग्न होकर सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।
अब कोई विकल्प नहीं
जमीन गई, लेकिन पैसा नहीं मिलने से आदिवासी किसान हताश-निराश हैं। रामटेक तहसील के आदिवासी दुर्गम क्षेत्रों में रहने से उन्हें रोजगार के लिए रोजाना रामटेक शहर में आना पड़ता है। आने-जाने में 100 रुपए रोजाना लग जाते हैं। 150 रुपए मजदूरी भी नहीं मिल पाती है। हालात इतनी खराब है कि अनेक परिवार एक समय खाना खाकर गुजार रहे हैं। अब कोई पर्याय नहीं होने से आखिरकार उन्होंने नागपुर में ठिया लगाया है। बावनथडी एक्शन कमेठी व बावनथडी शेतकरी संगठन के बैनर तले चल रहे आंदोलन में रामकृष्ण दसमेल, पंजाब वरठी, घनश्याम भलावी, सीताराम उईके, मंसाराम उईके, सुकाली उईके, गोविंद उईके, सुनील कोडवते, चैतराम मरसकोल्हे, इंदल भलावी आदि शामिल है। एक्शन कमेठी के अध्यक्ष सचिन बिसेन का इन्हें स्थानीय सहयोग मिल रहा है।
यह है मामला
वर्ष 1986 में रामटेक तहसील के पिंडकापार, मुरझड गांव के करीब 711 आदिवासी किसानों की बावनथड़ी प्रकल्प के लिए भूमि अधिगृहीत की गई थी। मुआवजा के तौर पर सरकार ने 10.80 करोड़ रुपए दिए थे। इसमें से पता चला कि 311 किसानों को 4.48 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन ही नहीं किया गया।
26 अक्टूबर 2017 को तत्कालीन मौदा के उपविभागीय अधिकारी अविनाश कातडे ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इसमें गड़बड़ियों से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका लेखाधिकारी से ऑडिट होना आवश्यक है। उसके बाद ही संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों से जवाब मांगा जा सकता है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अनुदान वितरण का पीएलए रजिस्टर में उल्लेख है, लेकिन पेमेंट रजिस्टर में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है।
23 नवंबर 2016 की जिलाधिकारी सचिन कुर्वे की रिपोर्ट में निधि आवंटन का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रकल्पग्रस्तों को 4.48 करोड़ रुपए की निधि प्राप्त नहीं हुई है।
विदर्भ पाटबंधारे विकास महामंडल के मुख्य अभियंता ए.वी. सुर्वे ने कहा कि तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी मौदा को उपलब्ध कराई गई निधि गलत तरीके से आवंटित हुई है। पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी इस बाबत बैठक लेकर नागपुर जिले के शेष खातेदारों को रकम पर ब्याज देने के निर्देश दिए थे।
Created On :   4 Feb 2018 4:40 PM IST