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करोड़ों का राजस्व पचाने वालों पर प्रशासन मेहरबान

डिजिटल डेस्क, अमरावती। राज्य सरकार को जिले में होने वाली स्टोन क्रेशिंग तथा रेत व पत्थरों की माइनिंग के जरिए करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन जिला प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली के चलते स्थानीय स्तर पर नियमित तौर पर राजस्व की वसूली नहीं हो पा रही है। वर्ष 2021 में माइनिंग के जरिए कुल 39 करोड़ रुपए की आमदनी का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 2022 शुरू होने के बावजूद इसमें से केवल 16 करोड़ रुपए का राजस्व ही प्राप्त हुआ है। जबकि 11 कंपनियों ने 14 करोड़ रुपए का राजस्व पिछले तीन वर्षों से अदा नहीं किया है। इसके बावजूद प्रशासन द्वारा इन कंपनियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
जिले में रेत घाटों की नीलामी प्रक्रिया रुकी होने से राजस्व का बड़ा हिस्सा स्टोन क्रेशिंग व खनिज के जरिए प्राप्त हो रहा है, लेकिन अधिकारियों द्वारा पत्थरों की माइनिंग करने वालों तथा स्टोन क्रेशिंग करने वालों पर बकाया राशि चुकता करने का कोई दबाव नहीं बनाया जा रहा है। विशेष बात यह है कि, खनिकर्म विभाग ने बकायादारों की जो लिस्ट तैयार की है। उसमें संबंधित स्टोन क्रेशर व माइनिंग कंपनियों का नाम भी नहीं िलखा है। केवल उस क्षेत्र की ग्राम पंचायत के आगे अ, ब व क जैसे अक्षरों का उपयोग किया जा रहा है। इस पूरे मामले में वित्तीय वर्ष की शुरुआत के दौरान तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल ने खनिकर्म विभाग से बकायदारों की विस्तृत िरपोर्ट मांगी थी। उस समय खनिकर्म विभाग द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया था। कि, 11 बड़े स्टोन क्रेशर संचालकों पर कुल 14 करोड़ रुपए की निधि बकाया है। जिसे वसूल करने के लिए खनिकर्म विभाग प्रयासरत है, लेकिन 10 माह बीत जाने के बावजूद खनिकर्म विभाग के प्रयास को कोई सफलता नहीं मिल पाई है। विशेष बात यह है कि, इस समयावधि में खनिकर्म विभाग ने किसी भी कंपनी को बकाया निधि दिए जाने के लिए कोई नोटिस तक जारी नहीं किया है।
Created On :   14 Jan 2022 12:38 PM IST