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जानवरों को अवैध रुप से मारने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे प्रशासन : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि प्रशासन पूरी तरह जानवरों के वध पर रोक नहीं लगा सकता, लेकिन यह आश्वस्त करे कि लाइसेंस के बिना दुकानों में अवैध रुप से प्राणियों का वध न हो। इसके साथ ही राज्य सरकार सुनिश्चित करे की प्राणियों के वध के दौरान प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक कानून व खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून के प्रावधानों का उल्लंघन न हो। क्योंकि यह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है, लिहाजा वह इस मामले में स्थानीय निकायों को न सिर्फ जरुरी मार्गदर्शन प्रदान करें, बल्कि उन नियंत्रण भी रखें।
मुंबई के कई स्थानों में देखा गया है कि रिहायसी इलाकों, सड़कों और गालियों तक में प्राणियों का वध कर दिया जाता है। कई स्थानों पर प्राणियों को भी दुकान के पास ही रखा जाता है। इससे बड़े पैमाने पर अस्वच्छता और गंदगी फैलती है। ऐसे हालात में इन इलाकों से लोगों का गुजरना भी दुभर हो जाता है। कम से कम प्रशासन को इसे नहीं बर्दाश्त करना चाहिए। प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक कानून से जुड़े प्रावधानों का पालन न किए जाने के मुद्दे को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अजय मराठे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
याचिका में दावा किया गया है कि मुंबई में बड़े पैमाने पर अवैध कत्लखाने चल रहे है। इसके साथ ही बड़े ही बेरहम तरीके से प्राणियों वध किया जाता है। यदि प्राणियों को बेहोश करके उनका वध किया जाए तो उनकी पीड़ा को कम किया जा सकेगा। मंगलवार को यह याचिका जस्टिस एसी धर्माधिकारी और जस्टिस बीपी कुलाबावाला की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आयी। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि प्रशासन (एथारिटी) पूरी तरह से प्राणियों के वध पर रोक नहीं लगा सकता है क्योंकि यह एक खाद्य पदार्थ है, लेकिन वह अवैध रुप से प्राणियों का वध करनेवाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई को सुनिश्चित कर सकता है। यह लोगों की सुरक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है। इसलिए राज्य सरकार आश्वस्त करे की प्राणी क्रूरता प्रतिबंधक कानून व खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून का पालन किया जाए। क्योंकि हमे लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है। यदि कोई व्यक्ति मांस का सेवन करता है तो उसे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
इससे पहले मुंबई मनपा की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर वकील अनिल साखरे ने कहा कि सिर्फ देवनार के कत्लखाने में नियमों का पालन करने के बाद प्राणियों की वध को इजाजत देते है। निजी स्थान पर बगैर लाइसेंस के प्राणियों वध पर रोक लगाई गई है। जिन दुकानों पर मांस बेचा जाता है मनपा अधिकारी उन दुकानों का नियमित अंतराल पर निरीक्षण भी करते है। और नियमों का उल्लंघन करनेवाले दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई भी करते है। जरुरी अनुमति के बिना प्राणियों का वध करने के मामले में साल 2014 से 2017 के बीच 700 FIR दर्ज की गई है। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 2 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है और मामले की अगली सुनवाई के दौरान मुंबई,नई मुंबई मनपा व हलफनामा दायर करने को कहा है। जबकि राज्य सरकार को इस मामले को लेकर सभी महानगरपालिकाओं व नगरपरिषदों और ग्रामपंचायतों को जरुरी निर्देश देने को कहा है।
Created On :   9 Oct 2018 6:42 PM IST