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बर्फी में दूध की जगह निकला वनस्पति, मसूर की दाल निकली मिलावटी

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। खाने-पीने की वस्तुओं में मिलावट का दौर जारी है। शासन-प्रशासन की कोशिशों और कड़ी कार्रवाई के बाद भी मिलावट या भ्रामक प्रचार कर खाद्य सामाग्री बेचने वालों की कमी नहीं है। खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा लिए गए सैम्पलों की जांच रिपोर्ट यह सिद्ध करती है कि मिलावटखोरी और दुष्प्रचार के सहारे अपना उत्पाद बेचने वालों पर अभी और कड़ाई से कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
खाद्य एवं औषधि विभाग ने बीते दिनों जिले के विभिन्न स्थानों पर छापामार कार्रवाई करते हुए खाद्य विक्रेताओं के यहां जांच की थी। जांच में कुछ खाने की वस्तुओं पर मिलावट व निम्न गुणवत्ता की होने का संदेह होने पर विभाग के अधिकारियों ने नमूने एकत्र कर इनके परीक्षण के लिए भोपाल स्थित प्रयोगशाला भेजे थे। इन्हीं सैम्पलों की जांच रिपोर्ट गत दिवस विभाग के पास पहुंची है। बताया जा रहा है कि जांच में तीन सैम्पल फेल हो गए हैं।
खाद्य अधिकारी अमरीश दुबे के अनुसार, जिन प्रतिष्ठानों से लिए गए सैम्पल जांच में फेल हुए हैं, उनमें गोसलपुर स्थित ओम सांई बेकर्स, सिहोरा रोड बुड़ागर स्थित पंडित की दुकान और सगड़ा स्थित कृष्णा रेस्टोरेंट के नाम शामिल हैं।
टोस्ट और पाव मिले मिसब्राण्डेड-
अधिकारियों ने ओम सांई बेकर्स से मावा टोस्ट और पाव के सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजे थे। इसकी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मावा टोस्ट और बाॅम्बे पाव के नाम से बेची जा रहे फूड आयटम में उत्पादन तिथि व प्रोडक्ट के संबंध में घोषण अंकित नहीं की गई है। इसके चलते यह मिसब्राण्ड की श्रेणी में अाता है। जानकारों की माने तो मिसब्राण्ड श्रेणी की खाद्य सामाग्री बेचने का आरोप सिद्ध होने पर 3 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
मानक स्तर की नहीं है मसूर दाल-
बुड़ागर में पंडित की दुकान पर हुई कार्रवाई के दौरान खाद्य एवं औषधि अधिकारियों ने मसूर दाल का नमूना लेकर जांच के लिए भेजा था। जांच में मसूर दाल मानक स्तर की नहीं पाई गई है। बताया जाता है कि मसूर में कचरा या अन्य सामाग्री की मिलावट कर इसे निम्न गुणवत्ता का बना दिया गया है। जानकार बताते हैं कि मिलावटी सामग्री का विक्रय करने पर 5 लाख रुपए तक का अर्थदण्ड लगाया जा सकता है।
बर्फी को दूध के अलावा निकला वनस्पति-
दूध की बर्फी बताकर वनस्पति से बनी खाद्य सामाग्री बेचने पर कृष्णा रेस्टोरेंट पर भी 5 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। बताया गया कि यहां से लिए गए सैम्पल में बर्फी में दूध की बजाय वनस्पति या पॉम आॅयल की मिलावट पाई गई है। जानकारों का कहना है कि जांच पद्धति के अनुसार बर्फी में से घी निकालकर इसमें मिलावट देखी जाती है। जांच प्रक्रिया के दौरान बर्फी में दूध की मात्रा तो कम मिली, लेकिन फैटयुक्त वनस्पति अथवा पॉम आॅयल की मिलावट मिली है।
Created On :   3 Jan 2018 11:56 PM IST