- Home
- /
- राज्य की जेलों का दौरा कर हाईकोर्ट...
राज्य की जेलों का दौरा कर हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपे महाधिवक्ता

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को जेल का दौरा कर वहां पर उपलब्ध सुविधाओं को लेकर अपनी स्वतंत्र रिपोर्ट तीन सप्ताह में देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता को जेल में उपलब्ध फोन कॉल व वीडियो कान्फ्रेसिंग की सुविधा का जायजा लेने को कहा है। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि ज्यादातर जेलों की क्षमता 600 कैदियों की है लेकिन वहां पर 3500 कैदियों को रखा गया है। इस लिहाज से जेल की सुविधाओं में बदलाव जरुरी है। कैदियों को अपने प्रलंबित मामलों की स्थिति की जानकारी मिलना जरुरी है और उन्होंने कितनी सजा पूरी कर ली है, इसकी सूचना भी उन्हें दी जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि जब आप (राज्य के महाधिवक्ता) जेल का दौरा करेंगे तो आपका नजरिया बदल जाएगा। जेल में फोन कॉल से जुड़ी सुविधा के समाधान के लिए वहां पर तकनीक के जानकार का होना भी जरुरी है। हाईकोर्ट में एक स्वयंसेवी संगठन ‘पीपुल्स यूनियन फॉर सीविल लिबर्टी’ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से जेल में बंद की गई वॉइस व वीडियो काल की सुविधा की शुरुआत सभी जेलों में करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि कैदियों को संवाद के लिए दूसरे इलेक्ट्रानिक माध्यम भी उपलब्ध कराए जाए। ताकि वे अपने घरवालों व वकीलों से संपर्क कर सके। याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल में सभी कैदियों को वॉइस व वीडियों कॉल की सुविधा थी।
जेल में स्टाफ की भारी कमी, वॉइस व वीडियो कॉल के लिए 400 स्टाफ की जरुरत
इससे पहले इस याचिका के जवाब में अतिरिक्त महानिदेशक (जेल) सुनील रामानंद ने कोर्ट मेम हलफनामा दायर कर अदालत को बताया था कि राज्य की जेलों में स्टाफ की भारी कमी है। इसके साथ ही राज्य सरकार के पास कैदियों को जेल में टेलिफोन व वीडियो कॉल की सुविधा देने के लिए जरुरी इनफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। जेल में कैदियों को टेलिफोन व वीडियो कॉल की सुविधा देने के लिए अतिरिक्त चार सौ स्टाफ की नियुक्ति करनी पड़ेगी। हलफनामे में कहा गया है कि सरकार ने कोरोना के चलते पैदा हुई अपवादजनक परिस्थितियों के मद्देनजर मानवता के आधार पर साल 2020 व साल 2021 में जेल से वॉइस व वीडियो कॉल की सुविधा शुरु की थी। हलफनामे में कहा गया है कि कैदियों को सिक्का डालकर फोन करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा सरकार ने स्मार्ट फोन व टैबलेट खरीदे हैं। जिनका इस्तेमाल वाईफाई से वीडियोकॉल के लिए हो सकता है। चूंकि अब जेल में कैदियों से मुलाकात की सुविधा बहाल कर दी गई है। इसलिए वकील व कैदियों के रिश्तेदार मुलाकात कर सकते हैं। इसलिए वीडियो व वॉइस कॉल की सुविधा को वापस ले लिया गया है। इसके अलावा जेलों में वॉइस व वीडियो कॉल की सुविधा शुरु करने के लिए जेल में जरुरी स्टाफ नहीं है।
Created On :   20 Jun 2022 7:06 PM IST