अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने मिजोरम में 25,260 सूअरों की जान ली, 121 करोड़ का नुकसान

African Swine Fever Kills 25,260 Pigs in Mizoram Since March 2021; Rs 121 Crore Loss Reported in State
अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने मिजोरम में 25,260 सूअरों की जान ली, 121 करोड़ का नुकसान
African Swine Fever अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने मिजोरम में 25,260 सूअरों की जान ली, 121 करोड़ का नुकसान
हाईलाइट
  • अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने मिजोरम में 25
  • 260 सूअरों की जान ली
  • 121 करोड़ का नुकसान

डिजिटल डेस्क, आइजोल। कोविड-19 महामारी के बीच मिजोरम में मार्च से अफ्रीकी स्वाइन फीवर (एएसएफ) के प्रकोप ने पूर्वोत्तर राज्य के सभी 11 जिलों में लगभग 25,260 सूअरों की जान ले ली है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

राज्य के पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने भी कहा कि एएफएस को अब तक 121 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय नुकसान हुआ है।

संक्रामक रोग को देखते हुए अब तक 9,460 से अधिक सूअरों को मार दिया गया है, ताकि स्वस्थ सूअरों में इसे और फैलने से रोका जा सके।

एक अधिकारी ने बताया कि मार्च के मध्य में दक्षिण मिजोरम के लुंगलेई जिले के लुंगसेन गांव में पहली बार सुअर की मौत का पता चला था। ग्रामीणों ने बताया था कि सूअर बांग्लादेश से सटे हुए थे।

जब मरे हुए सूअरों के सैंपल भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज में भेजे गए तो इस बात की पुष्टि हुई कि सूअरों की मौत एएसएफ की वजह से हुई है।

विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्यभर के सभी 11 जिलों के कम से कम 239 गांवों में एएसएफ के प्रकोप की सूचना मिली है।

अधिकारियों ने कहा कि 11 जिलों में से आइजोल सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां लगभग 10,780 सूअर मारे गए हैं, इसके बाद लुंगलेई में 4,135, सेरछिप में 3,500 और ममित में 2,880 सूअरों की मौत हुई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इसका प्रकोप पड़ोसी म्यांमार, बांग्लादेश और इससे सटे राज्य मेघालय से आयातित सूअर या सूअर के मांस के कारण हुआ होगा।

पूर्वोत्तर क्षेत्र का वार्षिक पोर्क (मांस) कारोबार लगभग 8,000-10,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें असम सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। सूअर का मांस इस क्षेत्र के आदिवासियों और गैर-आदिवासियों द्वारा खाए जाने वाले सबसे आम और लोकप्रिय मांस में से एक है।

एएसएफ का पहली बार 1921 में केन्या में पता चला था। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, मनुष्य एएसएफ से संक्रमित नहीं होते हैं, हालांकि, वे वायरस के वाहक हो सकते हैं।

आज तक इस वायरस का कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

लगभग हर साल पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न राज्यों में जानवरों, ज्यादातर पशुधन में एएसएफ और मुंह-खुर की बीमारी सहित विभिन्न बीमारियों का प्रकोप होता है।

पूर्वोत्तर राज्यों ने लोगों, विशेषकर सुअर पालन के मालिकों से कहा है कि वे अन्य राज्यों और पड़ोसी देशों, विशेष रूप से म्यांमार से सूअर और सूअर लाने से परहेज करें।

 

आईएएनएस

Created On :   1 Sep 2021 2:00 PM GMT

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