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भूमि अधिग्रहण के बाद किसान परिवारों को अब नौकरी का इंतजार
डिजिटल डेस्क,अमरावती। जिन किसानों ने पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही अपनी खेती योग्य जमीन, खेत व घर अलग-अलग प्रकल्पों के लिए सरकार को सौंप दिए। अब उन प्रकल्पग्रस्तों को इंतजार है कि सरकार उन्हें अथवा उनके परिवार के सदस्य को नौकरी देकर अपना वादा पूरा करें। करीब 15 वर्षों से एक लाख से अधिक किसान सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हुए हैं। उनमें अधिकतर कम पढ़े लिखे व मजदूरी पेशा किसानों का समावेश है। वर्ष 2006 से लेकर 2013 के बीच सरकारी आदेश के तहत सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने काफी सस्ती दरों पर किसानों की जमीनें अधिग्रहीत की थी। इस तरह का आरोप प्रकल्पग्रस्तों की ओर से लगाया जाता है।
किसानों के पास इसके विरोध में न्यायालय में अर्जी लगाने का अधिकार भी नहीं है। कानूनी प्रक्रिया के तहत प्रकल्पग्रस्तों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं किया गया है। कुछ समय बाद इस 5 प्रतिशत आरक्षण में कटौती करते हुए 2 प्रतिशत का कोटा अनुकंपा धारकों के लिए आरक्षित किया गया है। सरकार द्वारा वादे के मुताबिक 1 लाख से अधिक प्रकल्पग्रस्त किसानों को सरकारी कार्यालयों में नौकरी दी जाने की मांग की जा रही है और 5 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 15 प्रतिशत किए जाने की मांग की गई है। सरकार को नौकरी दिए जाने में बाधाएं आ रही है तो सरकार द्वारा 20 लाख रुपए का अनुदान दिया जाना चाहिए। इस तरह की बात जिले के लाखों प्रकल्पग्रस्त कर रहे है।
मजबूर न करे सरकार
किसान अनेक वर्षों से सरकार के समक्ष अपनी मांग रख रहे हैं। लेकिन इन प्रकल्पग्रस्तों की मांग को लेकर किसी भी पार्टी की सरकार संवेदनशील नहीं रही है। अगर प्रकल्पग्रस्त किसानों की इन मांगों को मान्य नहीं किया गया तो चक्काजाम करने के िसवाय कोई रास्ता नहीं बचेगा।
मनोज चव्हाण, किसान संघर्ष समिति
Created On :   25 Nov 2021 7:29 AM GMT