कुपोषण से बेटे की मौत के बाद मिला पीड़ित परिवार को राशन कार्ड

after sons death from malnutrition family got the ration card
कुपोषण से बेटे की मौत के बाद मिला पीड़ित परिवार को राशन कार्ड
कुपोषण से बेटे की मौत के बाद मिला पीड़ित परिवार को राशन कार्ड

 डिजिटल डेस्क सतना। जिले के मझगवां ब्लाक की पिंडरा पंचायत के गहिरा कोलान गांव में 14 माह के मासूम आनंद कोल की कुपोषण से हुई मौत को गुजरे 3 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है मगर अब जाकर 2 दिन पहले उसके परिवार का बीपीएल राशन कार्ड बनाया जा सका है । सरकारी सिस्टम के चक्रव्यूहÓ में फंसे मासूम आनंद के पिता लाल कोल और मां बिट्ट बाई 3 माह तक विभाग के चक्कर काटते रहे मगर उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी। इनकी सुध तब ली गई जब राज्य खाद्य आयोग ने इस संबंध में कलेक्टर से पूरी रिपोर्ट तलब की। आयोग के संज्ञान लेने के बाद मैदानी अमला भी सक्रिय हो गया और आनन-फानन गरीबी रेखा की सूची में नाम जुड़वाने के लिए लाल कोल से आवेदन लिया गया। सितम्बर महीने में तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला की बनाई 4 सदस्यीय जांच टीम शुक्रवार को पीडि़त आदिवासी के घर पहुंची।

क्या है पूरा मामला  
गौरतलब है कि 14 महीने का आनंद पैदा होते ही अतिकुपोषित था। क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीरा पांडेय के सहयोग से 13 सितम्बर को आनंद को जिला पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी 15 सितम्बर को मौत हो गई। कुपोषण की इस मौत से भोपाल से लेकर दिल्ली तक बखेड़ा खड़ा हो गया। पड़ताल हुई तो पता चला कि पीडि़त आदिवासी परिवार के पास बीपीएल श्रेणी का राशन कार्ड तक नहीं था जिसके एवज में वह शासकीय उचित मूल्य का राशन खरीद सके। गर्भावस्था से लेकर जन्म तक यदि मां और फिर साल भर के आनंद को पोषण आहार मिलता तो शायद यह नौबत नहीं आती।
राज्य खाद्य आयोग से हुई थी शिकायत
मध्यप्रदेश लोक सहभागी साझा मंच की स्टेट को-ऑर्डिनेटर उपासना बेहार ने 1 अक्टूबर को राज्य खाद्य आयोग के अध्यक्ष को 6 बिन्दुओं की लिखित शिकायत की थी जिसमें ये बिन्दु भी शामिल थे कि पीडि़त परिवार को  भरपेट खाना  नसीब नहीं  था जिसके कारण मां बिट्टी बाई अपने बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध उपलब्ध नहीं करा पाती थी इस कारण बच्चा शुरू से ही अतिकुपोषण का शिकार था।  आदिवासी अधिकार मंच के संयोजक आनंद ने भी 21 नवम्बर को इसी मामले की शिकायत जिला शिकायत निवारण अधिकारी को भेजी थी।

3 महीने बाद गांव पहुंची टीम
मामले की जांच के लिए तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने मझगवां एसडीएम ओम नारायण सिंह की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच टीम बनाई थी। इसमें सीईओ जनपद पंचायत अशोक निम, महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी संजय उर्मलिया और मझगवां बीएमओ डॉ. तरुणकांत त्रिपाठी को शामिल किया गया था। जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव की व्यस्तता के कारण यह टीम पीडि़त आदिवासी के घर नहीं पहुंच पाई थी। अब -जब निर्वाचन कार्य से छुट्टी मिली टीम ने अपना काम शुरू किया। पोषण आहार के अलावा कुछ भी नहीं टीम ने सरकार की ओर से मिल रहे हितग्राहीमूलक योजनाओं के लाभों के बारे में पूछताछ की। पीडि़त आदिवासी परिवार ने जांच टीम को बताया कि उसके बेटे को तो आंगनवाड़ी केन्द्र से पोषण आहार मिलता था मगर अन्य किसी भी तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिला। यहां तक कि उसका बीपीएल कार्ड का आवेदन भी निरस्त कर दिया गया था। नायब तहसीलदार फुलेल रावत ने बताया कि 25 दिसम्बर को लाल कोल ने बीपीएल सूची में नाम जोडऩे का आवेदन दिया और उसके अगले दिन यानि 26 दिसम्बर को राशन कार्ड बना दिया गया। श्री रावत का दावा है कि उससे पहले उसने कभी इस आशय का आवेदन दिया ही नहीं।
 

इनका कहना है
मामले की जांच के लिए हमारे नेतृत्व में 4 सदस्यीय टीम बनाई गई थी। टीम ने पीडि़त परिवार के घर जाकर उनको मिल रही हितग्राहीमूलक योजनाओं के लाभ की पूरी जानकारी हासिल की है। -ओम नारायण सिंह एसडीएम, मझगवां

 

Created On :   29 Dec 2018 8:14 AM GMT

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