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दैनिक भास्कर हिंदी: खेतों में धधक रही गन्ने पतरोई की आग, हो रही उर्वरा शक्ति नष्ट

भास्कर न्यूज. नरसिंहपुर। कृषि उत्पादक क्षेत्र नरसिंहपुर जिला गन्ना एवं गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी जिला है। फसलों की कटाई के बाद गन्ने की पतरोई एवं गेहूं की नरवाई खेतों में ही जलाने की परंपरा यहां पुरानी है। इससे होने वाले नुकसान से की जानकारी आने के बाद किसानों को कृषि वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ लगातार आगाह कर रहे हैं बावजूद इसके यह सिलसिला लगातार जारी है। किसान इस समय गन्ने की पतरोई जलाकर खेतों को धधका रहे हैं और कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को कमजोर कर रहे हैं।
कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि जिले में गेहूं तथा गन्ना की फसल बड़े पैमाने पर ली जाती है। गेहूं के कटने के बाद उसकी नरवाई तथा गन्ना का पतरोई किसान खेत में ही छोड़ देते हैं तथा बाद में आग लगाकर उसे जला देते हैं।
नहीं बचे मिट्टी में पोषक तत्व
सूत्र कहते हैं कि किसान फसल के लिए डीएपी तथा यूरिया का भरपूर उपयोग करते हैं जिससे फसल की पैदावार तो उर्वरक के कारण मिल जाती है, लेकिन भूमि में कोई पोषण तत्व नहीं बचता। किसान इस तथ्य को नजरदांज कर रहे हैं। अत: वे नरवाई तथा पतरौल खेतों में न जलाएं।
खेतों में घटा आर्गनिक कार्बन
किसानों को पतरोई एवं नरवाई नहीं जलाने की सलाह देने वाले कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि विभाग के पास इनका कोई आंकड़ा नहीं है कि खेतों में नरवाई अथवा पतरौल जलाने से एक वर्ष अथवा 5 वर्ष में भूमि की उर्वरा क्षमता कितना प्रतिशत कम होती है। बीते साल से किए जा रहे मिट्टी परीक्षण में यह बात साफ तौर पर निकलकर सामने आई है कि जिले की उर्वरा माटी से आर्गनिक कार्बन बहुत स्तर तक घट गया है।
10 फीसदी फायदा
गन्ना खेतों में पतरौल जलाने के संबंध में एक किसान ने बताया कि उसने अपने गन्ना के खेत में गन्ना का पतरौल जलाकर फसल ली जबकि बगल के किसान ने पतरौल नहीं जलाया। फसल आने पर दूसरे किसान के खेत में गन्ना ज्यादा मोटा, बड़ा पाया गया। किसान का कहना है कि इसमें उत्पादन में 10 से 12 फीसदी का अंतर आ सकता है।
किसानों का अपना तर्क
देवाकछार के किसान धनीराम पटेल ने पतरोई जलाने के संबंध में चर्चा करने पर कहा कि अगली फसलों की बोवनी के लिए इतना कम समय रहता है कि पतरौल को नहीं हटाया जा सकता इसलिए मजबूरीवश किसानों को उसे जलाना पड़ता है। ताकि समय पर बोवनी की जा सके। उल्लेखनीय है कि जिले के बड़े व मध्यम किसान बड़े-पैमाने पर गन्ना की फसल ले रहे हैं।
इनका कहना है
विभाग द्वारा दी जा रही सलाह का परिणाम धीरे-धीरे सामने आ रहा है। किसान अब इस बात को समझने लगे हैं कि पतरौल व नरवाई जलाने से उनकी भूमि का नुकसान हो रहा है। हालांकि इस दिशा में अभी और प्रयास किए जाने बाकी हैं।
सलिल धगट उप संचालक कृषि
भोपाल: स्कोप कॉलेज में विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने अपने छात्र -छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिये भारत के आटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी कम्पनी हीरो मोटोकार्प के साथ एक करार किया जिसमें ऑटोमोबाइल क्षेत्र में स्किल डेवलपमेंट के लिये एक विश्वस्तरीय प्रशिक्षण वर्कशाप की स्थापना संस्था के प्रांगण में की गई है। ये अपने आप में एक अद्वतीय पहल है तथा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इसमें सभी नवीनतम कम्प्यूटराइज्ड मशीन के द्वारा टू-व्हीलर ऑटोमोबाइल कार्यशाला प्रशिक्षण दिया जायेगा। इस वर्कशाप में उद्घाटन के अवसर पर कम्पनी के जनरल मैनेजर सर्विसेज श्री राकेश नागपाल, श्री मनीष मिश्रा जोनल सर्विस हेड - सेंट्रल जोन, श्री देवकुमार दास गुप्ता - डी जी एम सर्विस, एरिया मैनेजर श्री राम सभी उपस्थिति थे। साथ ही संस्था के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. अजय भूषण, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. मोनिका सिंह, अभिषेक गुप्ता आदि उपस्थित थे। संस्था के सभी शिक्षकगण तथा छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती वंदना से की गई , डॉ. मोनिका सिंह ने अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ. अजय भूषण ने सभी का स्वागत किया और बताया कि आने वाला समय कौशल विकास आधारित शिक्षा का है। कर्यक्रम में आईसेक्ट ग्रुप के कौशल विकास के नेशनल हेड अभिषेक गुप्ता ने ग्रुप के बारे मे विस्तार से बताया कि किस तरह हमेशा से आईसेक्ट ग्रुप ने कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता से लिया है। कार्यक्रम में एएसडीसी के सीईओ श्री अरिंदम लहिरी ऑनलाइन आकर सभी को बधाई दी तथा छात्र - छात्राओं को उनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभाषीस भी दी।
कार्यक्रम में डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि कौशल विकास आधारित शिक्षा सनातन काल से भारतवर्ष में चली आ रही है मध्यकालीन समय में कौशल विकास पर ध्यान नही दिया गया परंतु आज के तेजी से बदलते हुए परिवेश में विश्व भर में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को देखते हुये स्कोप कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कुछ ही समय में विभिन्न क्षेत्रों के सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है जो की विभिन्न क्षेत्रों मे छात्र- छात्राओं के कौशाल विकास मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। इंडिया गेट से जगदलपुर के लिए 1848 किमी की लंबी बुलेट यात्रा पर निकलीं सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्वविद्यालय परिसर में आगमन पर भव्य स्वागत किया। लगभग 300 स्वयंसेवकों तथा स्टाफ सदस्यों ने गुलाब की पंखुड़ियों से पुष्प वर्षा करते हुए स्वागत किया। वहीं उनके स्वागत में एन एस एस की करतल ध्वनि से पूरा विश्वविद्यालय परिसर गुंजायमान हो उठा। इस ऐतिहासिक बाइक रैली में शामिल सभी सैन्यकर्मियों का स्वागत विश्वविद्यालय के डीन ऑफ एकेडमिक डॉ संजीव गुप्ता, डिप्टी रजिस्ट्रार श्री ऋत्विक चौबे, कार्यक्रम अधिकारी श्री गब्बर सिंह व डॉ रेखा गुप्ता तथा एएनओ श्री मनोज ने विश्वविद्यालय की तरफ से उपहार व स्मृतिचिन्ह भेंट कर किया। कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डिप्टी कमांडेंट श्री रवीन्द्र धारीवाल व यात्रा प्रभारी श्री उमाकांत ने विश्वविद्यालय परिवार का आभार किया। इस अवसर पर लगभग 200 छात्र छात्राएं, स्वयंसेवक व एनसीसी कैडेट्स समस्त स्टाफ के साथ स्वागत में रहे मौजूद।