कृषि उत्पादन पर पड़ेगी मौसमी मार, उधर बिजली की खपत जानने सत्यापन कराएगी एमईआरसी

Agriculture of cotton, maize to be reduced with less rain
कृषि उत्पादन पर पड़ेगी मौसमी मार, उधर बिजली की खपत जानने सत्यापन कराएगी एमईआरसी
कृषि उत्पादन पर पड़ेगी मौसमी मार, उधर बिजली की खपत जानने सत्यापन कराएगी एमईआरसी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में मौसम की बेरुखी का असर कृषि उत्पादन पर पड़ना तय है। औरंगाबाद के कई तहसीलों के राजस्व मंडल में कम बारिश से कपास, मक्का और मूंग की फसल का उत्पादन कम होने की संभावना है। नाशिक में लगातार बारिश न होने के कारण धान, मूंग, उड़द और कपास के उत्पादन में कमी आ सकती है, जबकि बीड़ में रूक-रूक कर बारिश होने के कारण खेतों में फसलें बढ़ नहीं पा रही हैं। इसका उत्पादन पर विपरीत परिणाम हो सकता है। वहीं प्राकृतिक आपदा के कारण 1 लाख 41 हजार 255 हेक्टेयर क्षेत्र की फसलों को क्षति पहुंची है। इसमें कपास, सोयाबीन, अरहर (तुअर), धान, प्याज, मूंग, बाजरी, ज्वार, उड़द सहित अन्य फसोलं का समावेश है। सोमवार को राज्य कृषि आयुक्तालय से यह जानकारी मिली है। इसके अनुसार खेतों में फसलों की वृद्धि के लिए प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बारिश की जरूरत है।

प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक राज्य में गन्ने की फसल को मिलाकर 139 लाख 47 हजार हेक्येटर (93 प्रतिशत) में बुवाई हुई है। खरीफ सत्र में हर साल करीब 149 लाख 74 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई होती है। लेकिन इस साल खरीफ फसल सत्र में प्रदेश के किसानों को चौरफा मार झेलनी पड़ रही है। बारिश नहीं होने के कारण फसल संकट में है। राज्य के 367 गांवों में कपास की फसलों पर गुलाबी बोंडअली (सफेद इल्ली) का प्रभाव है। मूंग और उड़द की फसलें कीड़ के चपेट में हैं।

दूसरी ओर प्राकृतिक आपदा के कारण यवतमाल में 46649 हेक्टेयर, चंद्रपुर में 11161 हेक्टेयर, नांदेड़ में 71349 हेक्टेयर, जलगांव में 254 हेक्टेयर, गडचिरोली में 9642, नंदूरबार में 615 हेक्टेयर, धुलिया में 858 हेक्टेयर, सातारा में 318 हेक्टेयर और सांगली में 409 हेक्टेयर फसलें खराब हो गई हैं। 14 सितंबर तक 831.6 मिमी बारिश हुई है। इस साल बारिश औसत की तुलना में 81.3 प्रतिशत हुई है। राज्य के 7 जिलों में 100 प्रतिशत से ज्यादा बारिश हुई है। इसमें ठाणे, पालघर, रत्नागिरी, पुणे, सातारा, वाशिम और गडचिरोली का समावेश है। 17 जिलों में 75 से 100 प्रतिशत बरसात हुई है। इसमें नागपुर, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर, अकोला, यवतमाल, अहमदनगर, हिंगोली, परभणी, नांदेड़ शामिल हैं। 

कृषि क्षेत्र में बिजली की खपत जानने सत्यापन कराएगी MERC
कृषि क्षेत्र में खपत होने वाली बिजली के सटीक आंकड़ों का पता लगाने के लिए महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (MERC) ने तीसरे पक्ष से सत्यापन कराने का फैसला किया है। सोमवार को मुंबई प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत में MERC के सदस्य मुकेश खुल्लर ने यह जानकारी दी। खुल्लर ने कहा कि तीसरे पक्ष से सत्यापन कराने में लगभग एक साल का समय लगेगा। हमें आशा है कि रिपोर्ट मार्च 2020 तक पूरी हो जाएगी। इससे बिजली वितरण व्यवस्था में अधिक पारदर्शिता आएगी। खुल्लर ने कहा कि प्रदेश में 42 लाख कृषि पंप हैं। इसमें से 45 प्रतिशत कृषि पंपों में बिजली मीटर नहीं हैं।

इससे आयोग को राज्य बिजली वितरण कंपनी (MSEDCL) से प्राप्त बिजली खपत के आंकड़ों में अंतर मिलता है। खुल्लर ने कहा कि आने वाले समय में सभी कृषि पंपों को बिजली मीटर से जोड़ा जाएगा। आईआईटी बॉम्बे की एक विशेषज्ञ समिति के माध्यम से MERC के निर्देशों पर MSEDCL के अध्ययन के बाद एक और समिति से इसका आकलन कराने की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर खुल्लर ने कहा कि बिजली वितरण कंपनी ने अभी तक रिपोर्ट जमा नहीं की है। हमने महसूस किया कि MERC के तत्वावधान में सीधे अध्ययन शुरू करने की आवश्यकता है। 

बिजली दर वृद्धि जायज
इस दौरान खुल्लर ने हाल ही MERC द्वारा घोषित नई बिजली की दर बढ़ोतरी को जायज बताते हुए कहा कि MERC ने जनभावना को ध्यान में रखते हुए बिजली की नई दरें घोषित की हैं। औद्योगिक क्षेत्र की बिजली की नई दरों के सवाल पर खुल्लर ने कहा कि उद्योगों के लिए जरूरी दर वृद्धि ही की गई है। खुल्लर ने कहा कि लोगों को लग रहा है कि औद्योगिक बिजली बहुत महंगी हो गई है। लेकिन इसमें सच्चाई नहीं है। इतना जरूर है कि कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली सुविधा के कारण औद्योगिक बिजली की दरों पर थोड़ा भार पड़ेगा।  
 

Created On :   17 Sept 2018 9:46 PM IST

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