महाराष्ट्र की सभी जनपद मार्च 2018 तक हो जाएंगी खुले में शौच से मुक्त

All districts of Maharashtra will be Open defecation free
महाराष्ट्र की सभी जनपद मार्च 2018 तक हो जाएंगी खुले में शौच से मुक्त
महाराष्ट्र की सभी जनपद मार्च 2018 तक हो जाएंगी खुले में शौच से मुक्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के जल आपूर्ति एवं स्वच्छता मंत्री बबनराव लोणीकर ने दावा किया कि प्रदेश के कुल जिलों में से बची 19 जनपदों को मार्च 2018 तक ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए  केंद्र सरकार से 1985 करोड़ रुपये की धनराशि शीघ्र उपलब्ध कराए जाने की मांग की गई है। केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को आयोजित गंगा ग्राम स्वच्छता सम्मेलन में भाग लेने राजधानी आए मंत्री लोणीकर ने बातचीत में बताया कि फिलहाल महाराष्ट्र देश में खुले में शौच से मुक्त ग्राम पंचायतों की संख्या में अव्वल है।

खुले में शौच से मुक्त घोषित

प्रदेश के नागपुर, गोंदिया, भंडारा, वर्धा सहित 15 जिले, 351 में से 204 तहसील एवं 22,310 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है। शेष 19 जनपदों को मार्च 2018 तक खुले में शौच से मुक्त कराने का सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि इस काम को पूरा करने के लिए केन्द्र से 2017-18 में 3600 करोड़ रुपये राशि की मांग की गई थी, लेकिन इसमें से केवल 755 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुए है। इसलिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए और 1985 करोड़ धनराशि शीघ्र उपलब्ध कराए जाने का केन्द्र से अनुरोध किया है। इस पर केन्द्रीय पेयजल एवं स्वछता मंत्री उमा भारती ने यह धनराशि जल्द से जल्द उपलब्ध कराने की बात कही है।

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के क्रियान्वयन के लिए केंद्रीय सहायता में कटौती

मोदी सरकार ने ग्रामीण लोगों को गुणवत्तापूर्ण शुद्ध जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पहले से कार्यान्वित राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना को जारी रखने तथा पुनर्संरचना को मंजूरी प्रदान करते हुए इसके क्रियान्वय ने लिए राज्यों को धन की कमी नहीं होने देने का दावा किया था,लेकिन महाराष्ट्र में 2014-15 के बाद से इस योजना के तहत मिलने वाली केन्द्रीय सहायता में 50 प्रतिशत से भी अधिक की कटौती की गई है। राज्यमंत्री लोणीकर के अनुसार 2009-10 से लेकर 2014-15 तक इस योजना के तहत वार्षिक वित्तीय प्रावधान अधिकतम 900 करोड़ था और लगभग इतनी ही राशि आवंटित होती थी, लेकिन 2015-16 से इसमें 50 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है। 2017-18 में इसके लिए 338 करोड़ का प्रावधान किया गया, जिसमें से केवल 161 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए है। उन्होंने कहा कि इसके कारण राज्य में योजना के सुचारु क्रियान्वय में कठिनाइयां आ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में केन्द्रीय मंत्री को भी अवगत कराया गया है।
 

Created On :   24 Dec 2017 2:08 PM IST

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