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सभी विशेष अदालतें पाक्सो से जुड़े मामले में पीड़िता की गवाही को शीघ्रता से दर्ज करें

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पाक्सो कानून के तहत बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की सुनवाई करनेवाली सभी विशेष अदालतों को निर्देश दिया है कि उत्पीड़न का शिकार हुए बच्चों की गवाही की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा किया जाए। क्योंकि गवाही दर्ज करने में देरी के चलते पीड़िता को दोबारा उसी पीड़ा,बदनामी व आघात का सामना करना पड़ता है जिसे वह भूल जाना चाहती है। एक तरह से नाबालिग पीड़िता का बयान दर्ज करने में देरी उस पर दोबारा जुल्म करने जैसा होता है। देरी के चलते पीड़िता के अपने बयान से मुकरने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही उसे आरोपी को पहचानने में भी परेशानी आ सकती है। लिहाजा सभी विशेष अदालते पाक्सों से जुड़े मामलों में पीड़िता की गवाही को शीघ्रता से दर्ज करे।
न्यायमूर्ति रेवती ढेरे ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि जब बच्चों की गवाही विशेष अदालत में दर्ज किया जाए तो वहां का परिवेश बच्चों के अनुकूल रखा जाए। ताकि पीड़िता खुद को सहज व सुरक्षित महसूस करे। पाक्सों से जुड़े मामलों की इन कैमरा सुनवाई के दौरान सभी नियमों का पालन किया जाए। हो सके तो जिस दिन पीड़िता को गवाही के लिए बुलाया जाए उसी दिन उसका बयान दर्ज कर लिया जाए। बहुत आवश्यक होने पर ही सुनवाई के स्थगित किया जाए। पीड़िता को बार-बार कोर्ट में न बुलाया जाए । न्यायमूर्ति ने यह फैसला पाक्सो से जुड़े मामले में एक आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। आवेदन मे आरोपी ने दावा किया था कि वह गिरफ्तारी के बाद से जेल में है। वह एचआईवी से ग्रस्त है। इसिलए उसे जमानत दी जाए। जबकि 11 वर्षीय पीड़िता के वकील ने कहा कि साल 2019 से अब तक पीड़िता की गवाही नहीं हुई है। इस बात को जानने के बाद न्यायमूर्ति ने सभी विशेष अदालतों को शीघ्रता से पीड़िता के बयान को दर्ज करने को कहा है। कोर्ट ने मामले से जुड़े आरोपी को जमातन देने से मना कर दिया और से जरुरी वैधकीय सहायता देने को कहा।
Created On :   23 April 2022 6:58 PM IST