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कोरोना इलाज के लिए टोसिलिजुमैब के पर्याय भी इस्तेमाल करें -HC
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना इलाज में प्रचलित टोसिलिजुमैब इंजेक्शन की बाजार में भारी कमी है। इतना ही नहीं, इसकी कीमत भी बहुत अधिक है, जबकि केंद्र सरकार स्वयं बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्यपीठ में शपथपत्र प्रस्तुत करके यह बता चुकी है कि कोरोना के इलाज के लिए टोसिलिजुमैब के कई पर्याय उपलब्ध हैं, जिसे अधिक असरदार करार दिया जाता है। इस सूची में इटुलिजुमैब, डेस्कामेथॉसोन और मिथाइल प्रेडनिसोलेन जैसे ड्रग्स शामिल हैं। ऐसे में नागपुर खंडपीठ ने चिकित्सकों से अपील की है कि मरीजों के इलाज के लिए यदि टोसिलिजुमैब उपलब्ध न हो तो वे उक्त पर्यायों का भी इस्तेमाल शुरू करें, जिससे टोसिलिजुमैब की कमी दूर हो सके।
कंपनियां मदद के लिए आगे आएं
न्या. सुनील शुक्रे और न्या. अविनाश घारोटे की खंडपीठ में शुक्रवार को विदर्भ में कोरोना के इलाज के लिए जरूरी सुविधाओं पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें उद्योग जगत के योगदान का मुद्दा उठा। वीआईए ने हाईकोर्ट को बताया कि अनेक कंपनियों ने अपने 2020-21 के सालाना फायदे से सीएसआर में काफी रकम खर्च की है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने वीआईए को आदेश दिए कि किस कंपनी ने सीएसआर के तहत कितनी रकम खर्च की और कितनी कर सकते हैं, इसकी कंपनी निहाय सूची प्रस्तुत करे। वीआईए को यह भी बताना है कि किस उद्योग के पास कितने ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं, साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कंपनियां वीआईए को सहकार्य नहीं करतीं, तो उनका नाम भी हाईकोर्ट को बताया जाए, ताकि उन पर योग्य कार्रवाई की जा सके।
Created On :   8 May 2021 8:59 AM GMT